केंद्र और कुछ राज्यों के बीच विवाद का विषय बने जीएसटी क्षतिपूर्ति के मुद्दे को सुलझाने की दिशा में यह अहम क़दम माना जा रहा है. कोविड-19 संकट के चलते अर्थव्यवस्था में नरमी से जीएसटी संग्रह कम रहा है. इससे राज्यों का बजट गड़बड़ाया है. इस कमी को पूरा करने के लिए वित्त मंत्रालय ने राज्यों के समक्ष क़र्ज़ लेने के दो विकल्प रखे थे, जिसे कुछ राज्यों ने स्वीकार नहीं किया था.
यह आंकड़ा केंद्र सरकार के 50 विभागों का है. 157.23 करोड़ रुपये के इस अनुदान में से 93 प्रतिशत से अधिक की धनराशि यानी क़रीब 146 करोड़ रुपये अकेले रेलवे के कर्मचारियों के वेतन से दान किए गए हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए फंड का का इंतज़ाम करना एक राष्ट्रीय समस्या है. ऐसे समय में, ख़ासकर जब देश की अर्थव्यवस्था बाकी कई देशों के मुक़ाबले अधिक ख़राब है, तब केंद्र और राज्यों का क़र्ज़ लेने को लेकर उलझना अनुचित है.
मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन चली समीक्षा बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अप्रैल-जून तिमाही में अर्थव्यवस्था में आई गिरावट अब पीछे रह गई है और उम्मीद की किरण दिखने लगी है. इससे पहले विश्व बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी में 9.6 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगाया है.
कोयला और उर्वरक को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों में अगस्त 2020 में गिरावट रही. कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पादों, इस्पात, सीमेंट और बिजली सभी छह क्षेत्रों के उत्पादन में इस दौरान कमी आई है.
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, आरबीआई सहित 15 सरकारी बैंकों और संस्थाओं ने आरटीआई के माध्यम से बताया है कि उन्होंने कुल मिलाकर 349.25 करोड़ रुपये पीएम केयर्स फंड में दान किए. एलआईसी ने विभिन्न श्रेणियों के तहत अकेले सबसे अधिक 113.63 करोड़ रुपये दान में दिए हैं.
23 सितंबर 2019 को पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक में घोटाले का पता चला था, जिसके बाद आरबीआई ने बैंक के बोर्ड को अपने नियंत्रण में ले लिया था और बैंक पर कई तरह के नियामकीय प्रतिबंध लगा दिए थे.
कैग रिपोर्ट के अनुसार 2017-18 और 2018-19 के दौरान वसूले गए कुल जीएसटी उपकर में से 47,272 करोड़ रुपये को जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर निधि में नहीं डाला गया. इस राशि का इस्तेमाल राज्यों को राजस्व के नुकसान की भरपाई के लिए किया जाना चाहिए था.
साल 2014 से लेकर अब तक दस राज्यों ने कुल 2.70 लाख करोड़ रुपये के कृषि ऋण को माफ़ करने की घोषणा की थी, लेकिन इसमें से 1.59 लाख करोड़ रुपये के ही क़र्ज़ माफ़ हुए हैं. इसके साथ ही आंकड़े बताते हैं कि 2015 से 2020 के बीच किसानों के क़र्ज़ में लगभग 35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
ये राज्य मुख्य रूप से भाजपा शासित और उन दलों की सरकार वाले हैं, जो केंद्र की नीतियों का समर्थन करते रहे हैं. चालू वित्त वर्ष में राज्यों को जीएसटी संग्रह में 2.35 करोड़ रुपये के राजस्व की कमी का अनुमान है. केंद्र ने क्षतिपूर्ति के लिए राज्यों को दो विकल्प दिए थे. इसके तहत 97,000 करोड़ रुपये रिज़र्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली विशेष सुविधा से या पूरा 2.35 लाख करोड़ रुपये बाज़ार से उधार लेने का विकल्प
मुख्य आर्थिक सलाहकार द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार होने के आशावादी अनुमानों का समर्थन न करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने सतर्क किया है कि अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे सुधार होगा.
आरटीआई के तहत मिली जानकारी से पता चला है कि भारतीय स्टेट बैंक में संख्या के हिसाब से धोखाधड़ी के सबसे ज़्यादा मामले सामने आए हैं. वहीं मूल्य के हिसाब से बैंक ऑफ इंडिया धोखाधड़ी से सबसे अधिक प्रभावित रहा.
पिछले हफ्ते जीएसटी परिषद की बैठक के दो दिन बाद केंद्र सरकार ने 2.3 लाख करोड़ रुपये के मुआवज़े की कमी उधार लेकर पूरा करने के लिए राज्यों को दो विकल्प दिए थे. आठ ग़ैर- भाजपा शासित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने केंद्र के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. इस संबंध में पांच मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को पत्र लिखा है.
भारतीय रिज़र्व बैंक के मुताबिक, वित्त वर्ष 2019-20 में एक लाख रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के मामले में संख्या के हिसाब से 28 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से 159 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
आरबीआई ने अपनी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा है कि मार्च 2020 में 8.5 फीसदी की तुलना में मार्च 2021 तक बैंकों का एनपीए 12.5 फीसदी तक बढ़ सकता है. इससे पहले वैश्विक संस्था एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने अनुमान जताया था कि अगले साल तक भारत का एनपीए 13.2 फीसदी तक बढ़ जाएगा.