जोधपुर की एक अदालत ने साल 2018 को आसाराम को 2013 में अपने आश्रम में एक किशोरी के साथ बलात्कार करने का दोषी पाने के बाद उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी. अब आसाराम ने अपनी विभिन्न बीमारियों का हवाला देते हुए याचिका दायर कर सज़ा निरस्त करने और अंतरिम ज़मानत की मांग की है.
मामला शाहजहांपुर जेल का है, जहां 21 दिसंबर को जेल परिसर में क़ैदियों को कंबल बांटने का कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें आसाराम की तस्वीर वाला बैनर लगाया गया था. सोशल मीडिया पर इस कार्यक्रम की तस्वीर वायरल होने के बाद सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे.
साल 2013 में आसाराम के आश्रम में पढ़ रही शाहजहांपुर की एक नाबालिग लड़की ने उन पर बलात्कार का आरोप लगाया था. अप्रैल 2018 में उन्हें अदालत ने आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी. तब से आसाराम जेल में ही बंद हैं. शाहजहांपुर जेल में हुए कार्यक्रम को लेकर नाबालिग के पिता ने आपत्ति जताते हुए जांच की मांग की थी.
दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने नाबालिग के बलात्कार के दोषी ठहराए गए स्वयंभू संत आसाराम की सह-आरोपी की याचिका पर उन पर लिखी किताब को रिलीज़ होने से रोक दिया है. किताब आसाराम को गिरफ़्तार करने वाली राजस्थान पुलिस की टीम का नेतृत्व कर रहे आईपीएस अधिकारी अजय पाल लांबा ने लिखी है.
अहमदाबाद में आसाराम के आश्रम में पढ़ाई कर रहे दो बच्चे तीन जुलाई, 2008 को लापता हो गए थे. पांच जुलाई को साबरमती नदी के किनारे बच्चों के शव मिले थे. बच्चों के परिजनों ने आसाराम और उनके बेटे पर बच्चों की हत्या का आरोप लगाया था.