विशेष रिपोर्ट: केंद्र द्वारा लाए गए डिजिटल मीडिया के नए नियमों को लेकर हो रहे विरोध में एक मुद्दा इस बारे में हितधारकों के साथ समुचित चर्चा न होने का है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इन्हें बनाने से पहले हुए विचार-विमर्श के नाम पर दो सेमिनार और एक मीटिंग का हवाला दिया है, हालांकि इसमें से किसी के भी मिनट्स तैयार नहीं किए गए हैं.
सोशल मीडिया मंचों के दुरुपयोग रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए नियमों को लेकर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि ये नियम दमनकारी और प्रेस की आज़ादी के प्रतिकूल हैं.
द शिलॉन्ग टाइम्स की संपादक पैट्रिशिया मुखीम पर एक फेसबुक पोस्ट के ज़रिये सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने के आरोप में हुई एफआईआर को हाईकोर्ट ने रद्द करने से इनकार कर दिया है. मुखीम का कहना है कि एडिटर्स गिल्ड सिर्फ सेलिब्रिटी पत्रकारों का ही बचाव करती है, उनके मामले पर उसने चुप्पी साध रखी है.
प्रसार भारती ने बीते 15 अक्टूबर को समाचार एजेंसी पीटीआई और यूएनआई का सब्सक्रिप्शन रद्द कर दिया है. सीमा पर हुए गतिरोध के बीच पीटीआई द्वारा जून महीने में भारत में चीन के राजदूत का इंटरव्यू करने पर सार्वजनिक प्रसारणकर्ता प्रसार भारती ने एजेंसी की कवरेज को ‘देशविरोधी’ क़रार देते हुए उसके साथ सभी संबंध तोड़ने की धमकी दी थी.
उत्तर प्रदेश के कानपुर से प्रकाशित एक अख़बार के पत्रकार 25 वर्षीय शुभम मणि त्रिपाठी ने अपनी हत्या से पहले अधिकारियों को पत्र लिखकर क्षेत्र के भू-माफिया और रेत माफिया से अपनी जान को ख़तरा होने की आशंका जताई थी.
प्रधानमंत्री के गोद लिए गए गांव से संबंधित एक रिपोर्ट पर पत्रकार सुप्रिया शर्मा के ख़िलाफ़ वाराणसी में केस दर्ज़ किया गया है. मीडिया संगठनों का कहना है कि अधिकारियों द्वारा क़ानूनों के इस तरह से दुरुपयोग की बढ़ती प्रवृत्ति भारत के लोकतंत्र के एक प्रमुख स्तंभ को नष्ट करने की तरह है.
मीडिया संगठनों ने एक गुजराती समाचार पोर्टल के संपादक के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मामला दर्ज करने, हिमाचल प्रदेश में छह पत्रकारों के ख़िलाफ़ 14 एफआईआर दर्ज करने और इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार को पूछताछ के लिए बुलाने की निंदा की है.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकारों को स्वतंत्र मीडिया को धमकाने के लिए कानून का दुरुपयोग करने से बचना चाहिए. प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने भी इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार को दिल्ली पुलिस द्वारा नोटिस जारी करने की कार्रवाई की निंदा की है.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया का यह बयान उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों की रिपोर्टिंग कर रहे कई पत्रकारों को हिरासत में लेने के बाद आया है.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा 11 दिसंबर को जारी पहले परामर्श की निंदा करते हुए एडिटर्स गिल्ड ने सरकार से इसे वापस लेने का अनुरोध किया था. दूसरा परामर्श जारी होने बाद तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि यह सूचना पहुंचाने वाले को ही सजा देना है.
एडिटर्स गिल्ड का कहना है कि देश में हो रही घटनाओं की ज़िम्मेदार कवरेज के लिए मीडिया की प्रतिबद्धता पर इस तरह के परामर्श से सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए. सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने सभी निजी टीवी चैनलों से कहा था कि वे ऐसी सामग्री दिखाने से परहेज करें जो ‘राष्ट्र विरोधी रवैये’ को बढ़ावा दे सकती है.
मीडिया बोल की 81वीं कड़ी में उर्मिलेश नरेंद्र मोदी के साक्षात्कार, मणिपुर में पत्रकार की गिरफ़्तारी और सबरीमाला मंदिर में हड़ताल कवर करने गई कैमरापर्सन शजिला से आंदोलनकारियों के दुर्व्यवहार पर हिंदुस्तान टाइम्स के पॉलिटिकल एडिटर विनोद शर्मा, द ट्रिब्यून की डिप्टी एडिटर स्मिता शर्मा और वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता से चर्चा कर रहे हैं.
नई दिल्ली के संसद मार्ग पर हुए प्रदर्शन के दौरान पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न के आरोपियों के ख़िलाफ़ तत्काल कार्रवाई करने की मांग की.
‘मीटू’ अभियान को लेकर एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि यौन उत्पीड़न के दोषी पाए गए किसी भी शख़्स को क़ानून के हिसाब से दंडित किया जाना चाहिए. देश में प्रेस की आज़ादी के लिए निष्पक्ष, न्यायोचित और सुरक्षित कार्य वातावरण ज़रूरी है.
मीडिया द्वारा बलात्कार और यौन शोषण पीड़ितों की पहचान सार्वजनिक करने से जुड़े मामलों के संबंध में भारतीय प्रेस परिषद, एडिटर्स गिल्ड आॅफ इंडिया और इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फेडरेशन और न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया था.