एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने अपने विश्लेषण में बताया है कि 12 चरणों के दौरान बेचे गए 12,313 बॉन्ड्स में से 6524 बॉन्ड्स (45.68 फीसदी) एक करोड़ की कीमत के थे जबकि 4877 बॉन्ड्स (39.61 फीसदी) 10 लाख रुपये की कीमत के थे.
चुनावी बॉन्ड योजना को लागू करने के लिए मोदी सरकार ने साल 2017 में विभिन्न कानूनों में संशोधन किया था. इसके बाद एडीआर ने याचिका दायर कर इन संशोधनों को चुनौती दी थी.
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर गैर सरकारी संगठन एडीआर और कॉमन कॉज ने निर्वाचन आयोग को भविष्य के सभी चुनावों में आंकड़ों की विसंगति की जांच के लिए पुख्ता प्रक्रिया तैयार करने का निदेश देने का अनुरोध किया है.
चुनाव आयोग ने राज्यसभा की संसदीय समिति को बताया था कि यह समय में पीछे जाने वाला क़दम है और इसकी वजह से राजनीतिक दलों की फंडिंग से जुड़ी पारदर्शिता पर प्रभाव पड़ेगा.
चुनावी बॉन्ड योजना को लागू करने के लिए मोदी सरकार ने साल 2017 में विभिन्न कानूनों में संशोधन किया था. एडीआर ने साल 2017 में याचिका दायर कर इन्हीं संशोधनों को चुनौती दी है.
हाल ही में चुनावी बॉन्ड के संबंध में हुए कई खुलासे को आधार बनाकर एडीआर ने अपनी याचिका में ये नया आवेदन दायर किया है. आवेदन में कहा गया है कि इससे राजनीतिक दलों को असीमित कॉरपोरेट चंदा प्राप्त करने के दरवाजे खुल गए हैं, जिसका देश के लोकतंत्र पर गंभीर परिणाम पड़ सकता है.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि भाजपा की कुल संपत्ति, जो वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान 1213.13 करोड़ रुपये थी, वो 2017-18 वित्त वर्ष में बढ़कर 1483.35 करोड़ रुपये हो गई.
चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी शोध संस्था एडीआर के अनुसार, सबसे ज्यादा अमीर शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल हैं, जिनकी संपत्ति 217 करोड़ रुपये है. पीयूष गोयल की संपत्ति 95 करोड़ रुपये है. गुरुग्राम से निर्वाचित राव इंद्रजीत सिंह तीसरे सबसे धनी मंत्री हैं और उनकी संपत्ति 42 करोड़ रुपये है.
द वायर बुलेटिन में वेदांता के ओडिशा प्लांट में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में 2 की मौत समेत आज की बड़ी ख़बरें. दिनभर की महत्वपूर्ण ख़बरों का अपडेट.
इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार भाजपा के 72 सांसदों की संपत्ति में 7.54 करोड़ रुपये की औसत वृद्धि हुई, जबकि कांग्रेस के 28 सांसदों की संपत्ति में औसतन 6.35 करोड़ रुपये का इज़ाफ़ा हुआ.
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के 99 में से 25 विधायकों, भाजपा के 73 में से 12 विधायकों और बसपा के छह में से दो विधायकों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज हैं.
देश में अरबपतियों की तेज़ी से बढ़ती संख्या के बीच आप रोते रहिए कि राजनीति का पतन हो गया है और अब वह समाजसेवा या देशसेवा का ज़रिया नहीं रही, इन बहुमतवालों को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता क्योंकि उन्होंने इस स्थिति को सामाजिक-सांस्कृतिक मान्यता भी दिला दी है.
देशभर के मौजूदा 4,086 विधायकों में से 3,145 विधायकों ने ही अपने आय का ब्योरा चुनाव आयोग को दिया है. 941 विधायकों ने अपनी आय घोषित नहीं की है.
भाजपा को अन्य दलों से नौ गुना ज़्यादा चंदा मिला. सभी दलों को 2016-17 में ‘अज्ञात स्रोतों’ से 711 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जिसमें भाजपा की अज्ञात स्रोतों से आय 464.94 करोड़ रुपये रही.
देश में 48 मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दल हैं. 16 ने चुनाव आयोग को अपनी ऑडिट रिपोर्ट नहीं सौंपी है. 2016-17 में समाजवादी पार्टी की कमाई 32 दलों की कुल कमाई का 25.78 प्रतिशत है.