पहाड़ों पर पानी उपलब्ध कराने वाले परंपरागत संसाधन उपेक्षित पड़े हैं. भारी भरकम बजट वाली बड़ी-बड़ी परियोजनाओं से पानी उपलब्ध करने के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन जल संरक्षण से जुड़ी पारंपरिक जानकारी को सहेजने-समेटने में न तो सरकारी विभागों कि रुचि है और न ही नई पीढ़ी की.