घटना महोबा की है, जहां हाल ही में ग्राम प्रधान बनीं एक दलित महिला ने आरोप लगाया है कि गांव के पंचायत भवन में ज़िले के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान वहां मौजूद कुछ लोगों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया. उन्हें कुर्सी से उतरने को कहते हुए जातिसूचक टिप्पणियां भी की गईं.
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत यह ज़रूरी है कि आरोपी ने संबंधित समुदाय के किसी व्यक्ति को सार्वजनिक स्थल पर अपमानित करने के उद्देश्य से डराया-धमकाया हो.
मामला लखीमपुर खीरी जिले का है. पुलिस द्वारा बरामद सुसाइड नोट में ग्राम विकास अधिकारी त्रिवेंद्र कुमार गौतम ने किसान संघ के नेताओं और दो ग्राम प्रधानों के परिवार के सदस्यों पर प्रताड़ना और जातिसूचक टिप्पणी करने का आरोप लगाया है.
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि जातिसूचक टिप्पणी करने पर अधिकतम पांच साल की सज़ा हो सकती है.