देशभर के 115 से अधिक लेखकों-पत्रकारों-कलाकारों और संस्कृतिकर्मियों ने बिहार चुनाव से पहले मतदाताओं से अपील की है कि वे विकास का ढोल पीटने और नफ़रत फैलाने वाली ताक़तों के ख़िलाफ़ जनता और धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की पक्षधर शक्तियों को समर्थन दें.
नरेंद्र मोदी को वोट देने वालों की सोच यह नहीं है कि वह अपने किए गए वादों को पूरा करेंगे या नहीं, बल्कि उन्होंने मोदी को इसलिए वोट किया क्योंकि उन्हें उनमें अपना ही अक्स दिखाई देता है.