राजनीतिक संकट का सामना कर रहे केपी शर्मा ओली के लिए इसे एक और झटका माना जा रहा है. सितंबर 2015 में लागू किए गए नए संविधान ने बाद यह पहला मौका है, जब कोई सरकार विश्वास मत हार गई है. इस निर्णय के बाद ओली को राष्ट्रपति के सामने अपना इस्तीफ़ा देना होगा, जिसके बाद नई सरकार बनाने पर विचार किया जाएगा.
बीते साल 20 दिसंबर को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सिफ़ारिश पर राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने 275 सदस्यों वाले संसद के निचले सदन को भंग करने की मंज़ूरी दी थी. सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने फैसले पर रोक लगाते हुए सरकार को अगले 13 दिनों के अंदर सदन का सत्र बुलाने का आदेश दिया है.
बीते रविवार को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सिफ़ारिश पर राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने संसद भंग करने को मंज़ूरी दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ दायर रिट याचिकाओं पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद ओली नीत सरकार को इस संबंध में लिखित स्पष्टीकरण देने को कहा है.
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रविवार सुबह हुई मंत्रिमंडल की आपात बैठक में संसद भंग करने की सिफ़ारिश की थी, जिसे राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने मंज़ूरी दे दी. राष्ट्रपति ने 30 अप्रैल को पहले चरण और 10 मई को दूसरे चरण का मध्यावधि चुनाव कराए जाने की घोषणा की. तय समय के अनुसार वहां 2022 में चुनाव होना था.
नेपाल में हुए ऐतिहासिक संसदीय और स्थानीय चुनावों में पार्टी की बुरी हार के करीब दो महीने बाद शेर बहादुर देउबा ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दिया.