सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के आधार पर पत्रकार राजदीप सरदेसाई के ख़िलाफ़ अदालत द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना मामला दर्ज करने के संबंध में मीडिया में ख़बर आई थी. हालांकि न्यायालय ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि ऐसा ग़लती से हो गया था.
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के ख़िलाफ़ अवमानना के एक मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि टीवी चैनल आरोपियों के निजी वॉट्सऐप चैट को प्रसारित कर रहे हैं, यह न्यायिक व्यवस्था के लिए बेहद ख़तरनाक है.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को न्यायपालिका एवं जजों को लेकर अपने दो ट्वीट के चलते अदालत की अवमानना का दोषी क़रार दिया गया था और एक रुपये जुर्माने की सज़ा दी गई थी.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को न्यायपालिका एवं जजों को लेकर अपने दो ट्वीट के चलते अदालत की अवमानना का दोषी क़रार दिया गया था और 31 अगस्त को एक रुपये जुर्माने की सज़ा दी गई थी.
बीते दिनों अवमानना के दोषी ठहराए गए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि लोकतंत्र में न्याय प्रणाली और कोर्ट के कामकाज से वाक़िफ़ हर नागरिक को स्वतंत्र रूप से अपने विचार रखने में सक्षम होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से उसे अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला बताकर अवमानना के रूप में लिया जाता है.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ ने ट्विटर पर की गई दो टिप्पणियों के लिए अवमानना के दोषी ठहराए गए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को 15 सितंबर तक एक रुपये का जुर्माना भरने की सज़ा सुनाई है. जुर्माना न देने पर उन्हें तीन महीने जेल होगी और तीन साल तक वकालत करने से रोक दिया जाएगा.
ट्विटर पर की गई दो टिप्पणियों के लिए अवमानना के दोषी ठहराए गए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को सज़ा सुनाते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ ने निर्देश दिया कि 15 सितंबर तक जुर्माना न देने पर उन्हें तीन महीने जेल होगी और तीन साल तक वकालत करने से रोक दिया जाएगा.
दो ट्वीट्स के लिए अवमानना के दोषी ठहराए गए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण द्वारा माफ़ी मांगने से इनकार के बाद उनकी सज़ा को लेकर हुई सुनवाई में जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि अगर आप माफ़ी मांगते हैं तो गांधीजी की श्रेणी में आएंगे. ऐसा करने में छोटा महसूस करने जैसा कुछ नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट पीठ की अगुवाई कर रहे जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि वे रिटायर होने वाले हैं और अब उनके पास समय नहीं है, इसलिए मुख्य न्यायाधीश के आदेश के अनुसार इस मामले को 10 सितंबर को उचित पीठ के पास भेजा जाए.
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा कि भारत के संविधान की व्याख्या पर क़ानून के मूलभूत सवालों के मद्देनज़र और इसके मौलिक अधिकारों पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों को ध्यान में रखते हुए इन विषयों को संविधान पीठ द्वारा सुना जाना चाहिए.