नौ जनवरी 1927 को उत्तराखंड के टिहरी ज़िले में जन्मे सुंदरलाल बहुगुणा को चिपको आंदोलन का प्रणेता माना जाता है. उन्होंने 70 के दशक में गौरा देवी तथा कई अन्य लोगों के साथ मिलकर जंगल बचाने के लिए चिपको आंदोलन की शुरुआत की थी. पद्मविभूषण तथा कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित बहुगुणा ने टिहरी बांध निर्माण का भी बढ़-चढ़ कर विरोध किया और 84 दिन लंबा अनशन भी रखा था.
किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया पर जारी एक टूलकिट में संलिप्तता के आरोप में बीते 13 फरवरी को पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को गिरफ़्तार किया गया था. अदालत ने बीते 17 मार्च को दिशा रवि की याचिका पर जवाब दाख़िल करने के लिए केंद्र सरकार को आख़िरी मौका दिया था. आरोप है कि किसान आंदोलन का पूरा घटनाक्रम टूलकिट में बताई गई कथित योजना से मिलता-जुलता है.
टूलकिट मामले में गिरफ़्तार हुईं जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि ने रिहाई के बाद पहली बार जारी बयान में कहा कि विचार मरते नहीं हैं. कितना ही समय क्यों न लगे सच सामने आ ही जाता है.
किसान आंदोलन संबंधी टूलकिट साझा करने के मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा राजद्रोह क़ानून के तहत गिरफ़्तार युवा कार्यकर्ता दिशा रवि को ज़मानत देते हुए दिल्ली की अदालत ने कई कड़ी टिप्पणियां की हैं. अदालत ने यहां तक कहा कि सरकारों के ग़ुरूर पर लगी ठेस के लिए किसी पर राजद्रोह का आरोप नहीं लगाया जा सकता.
किसानों के प्रदर्शन संबंधी टूलकिट साझा करने के मामले में गिरफ़्तार दिशा रवि को ज़मानत देते हुए दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि मामले की अधूरी और अस्पष्ट जांच को देखते हुए कोई ठोस कारण नहीं है कि बिना किसी आपराधिक रिकॉर्ड की किसी 22 साल की लड़की के लिए ज़मानत के नियम को तोड़ा जाए.
बयान में कहा गया है कि कई सरकारी एजेंसियों और राज्य सरकारों ने किसान, मज़दूर, शिक्षाविदों, पत्रकारों, कॉमेडियन और आम नागरिकों के अलावा युवा कार्यकर्ताओं को डराया-धमकाया और सिर्फ इसलिए मामला दर्ज किया क्योंकि ये लोग सरकार से असहमति जता रहे थे और लगातार उससे सवाल पूछ रहे थे.
फैक्ट चेक: दिल्ली पुलिस ने युवा पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को ग्रेटा थनबर्ग द्वारा साझा किए किसान आंदोलन समर्थक टूलकिट संबंधी मामले में गिरफ़्तार किया है. रवि के 'ईसाई' होने के भ्रामक प्रचार के बाद अब उनके वकील की फीस को लेकर झूठे दावे किए जा रहे हैं.
दिल्ली पुलिस का कहना है कि पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि ने किसान आंदोलन से जुड़े उस डॉक्यूमेंट को शेयर किया है, जिसे जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने ट्वीट किया था. पुलिस का दावा है कि ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा समेत किसान आंदोलन का पूरा घटनाक्रम ट्विटर पर साझा किए गए टूलकिट में बताई गई कथित योजना से मिलता-जुलता है.
दिल्ली में किसान आंदोलन के समर्थन में सोशल मीडिया पर एक टूलकिट को साझा करने में कथित भूमिका के चलते पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. एक अन्य कोर्ट ने दिशा को तीन दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
टूलकिट मामले में गिरफ़्तार कार्यकर्ता दिशा रवि ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अनुरोध किया है कि पुलिस को उनके ख़िलाफ़ हो रही जांच से जुड़ी कोई भी सामग्री मीडिया में लीक करने से रोका जाए. अदालत ने इसे लेकर एनबीएसए और कुछ मीडिया संस्थानों को नोटिस जारी किया है.
टूलकिट मामले में आरोपी बनाए गए महाराष्ट्र के पर्यावरण कार्यकर्ता शांतनु मुलुक के पिता ने कहा कि दिल्ली पुलिस के कर्मी होने का दावा करने वाले दो लोगों ने ‘बिना किसी तलाशी वारंट’ के बीड में 12 फरवरी को उनके घर से कंप्यूटर की एक हार्ड डिस्क और अन्य सामग्री जब्त कीं.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई की वकील निकिता जैकब को राहत देते हुए दिल्ली की संबंधित अदालत का दरवाज़ा खटखटाने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है. यह मामला किसान आंदोलन के संबंध में जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा साझा किए गए टूलकिट से जुड़ा है.
हिंदुत्व की विचारधारा का आधुनिक दुनिया से कोई लेना-देना नहीं है.
वीडियो: किसान आंदोलन से जुड़ा टूलकिट मामला अब बड़ा राजनीतिक मसला बन चुका है. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में क्लाइमेट एक्टिविस्ट दिशा रवि को बेंगलुरु से गिरफ़्तार किया है. इस पूरे मसले पर पुलिस और सरकार ने किस तरह से काम किया, बता रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
दूसरे देश होंगे जहां ग्रेटा सितारा है, हम अपनी ग्रेटा- दिशा रवि को जेल में रखते हैं. वह कोई और ज़माना होगा और कोई और देश, जहां स्वार्थ से ऊपर उठकर प्रकृति की चिंता करने वाले की अभ्यर्थना होती है. यहां उसे कारागार मिलता है.