मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस अधिकार को प्राप्त करने के लिए बेटी को यह साबित करना होगा कि कि वह ख़ुद का ख़र्च चलाने में असमर्थ है.
हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 के ज़रिये पिता की संपत्ति में बेटी को बराबर का हिस्सा देने का अधिकार दिया गया था. हालांकि इसे लेकर एक विवाद यह था कि यदि पिता का निधन साल 2005 के पहले हो गया है तो यह क़ानून बेटियों पर लागू होगा या नहीं. इसे लेकर कई याचिकाएं दायर की गई थीं.