आज़ादी के 71 साल: सरकार यह महसूस नहीं करती है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और सामाजिक सुरक्षा पर किया गया सरकारी ख़र्च वास्तव में बट्टे-खाते का ख़र्च नहीं, बल्कि बेहतर भविष्य के लिए किया गया निवेश है.
शीर्ष अदालत ने कहा, केंद्र सरकार ग़रीबों के लिए तीस हज़ार करोड़ रुपये की योजना का ‘मज़ाक़ बना रही’ है.
जन गण मन की बात की 149वीं कड़ी में विनोद दुआ अर्थव्यवस्था में नकद की वापसी और जवाहरलाल नेहरू पर चर्चा कर रहे हैं.
कोर्ट ने केंद्रीय श्रम सचिव को 10 नवंबर से पहले पेश होकर यह बताने का निर्देश दिया है कि नियमों को कैसे लागू किया और क्यों इसका दुरुपयोग हुआ.