2017 के विधानसभा चुनाव से ऐन पहले शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना ली थी. पिछले हफ़्ते अखिलेश यादव ने भी शिवपाल यादव के दल से गठबंधन के संकेत दिए थे.
पिछले 21 वर्षों में चंदौली सीट के मतदाताओं ने किसी भी पार्टी या प्रत्याशी को लगातार दो बार नहीं चुना है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडे दोबारा जीत दर्ज कर अपनी प्रतिष्ठा बचा पाते हैं या नहीं.
2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा की ज़बरदस्त जीत 2019 में दोहराई नहीं जाएगी क्योंकि तब की तुलना में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, झारखंड, बिहार और दिल्ली जैसे राज्यों में भाजपा अपना आधार खोती नज़र आ रही है.
मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन को लेकर अखिलेश पर निशाना साधते हुए कहा कि आख़िर किस आधार पर आधी सीटें बसपा को दी गईं. सपा के ही लोग पार्टी को कमजोर कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले परिवार में समाजवादी पार्टी की कमान को लेकर हुए विवाद के बाद से शिवपाल यादव हाशिये पर चल रहे थे. उन्होंने सपा से अलग होकर समाजवादी सेकुलर मोर्चा नाम का एक संगठन बनाया था.