कोरोना वायरस के कारण देशभर में लागू लॉकडाउन के दौरान आजीविका खोने के बाद दूसरे राज्यों में फंसे मज़दूर अपने घर वापस लौटने के लिए हर दिन जद्दोजहद कर रहे हैं.
यूनिसेफ ने कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित बच्चों को मानवीय सहायता मुहैया कराने के लिए 1.6 अरब डॉलर की मदद मांगी है.
चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) के अध्ययन के मुताबिक देश के सभी क्षेत्रों में टीकाकरण अभियान को बड़ा झटका लगा है. हाल ही में यूनिसेफ ने कहा था कि कोरोना वायरस की वजह से वर्तमान में 24 देशों ने टीकाकरण का काम रोक दिया गया है.
कानपुर पुलिस का कहना है कि प्रदर्शन के दौरान पुरुष औरतों को नारेबाज़ी के लिए भड़का सकते हैं या फिर क़ानून व्यवस्था भंग कर सकते हैं. इसलिए नोटिस भेजकर बॉन्ड की राशि भरने को कहा गया है. लखनऊ के घंटाघर में धरनास्थल से बच्चों को हटाने का निर्देश. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे लोग पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं.
बच्चों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, तीन देशों- फिलीपींस, इंडोनेशिया और मलेशिया में पांच साल से कम उम्र के औसतन 40 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं, जबकि इस मामले में वैश्विक औसत तीन में से एक बच्चे के कुपोषित होने का है.
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, इन कैदियों में 1,649 महिलाएं भी हैं जो अपने 1,942 बच्चों के साथ जेल में रह रहीं हैं.
यूआईडीएआई ने इसके साथ चेतावनी भी दी कि अगर बच्चों को आधार के बिना दाखिला देने से मना किया जाता है तो वह कानून के तहत अवैध होगा और ऐसा करने की अनुमति नहीं है.
अगर किसी को फ़िक्र होती तो देश में 2008 से 2015 के बीच हर दिन दो हज़ार से अधिक नवजात शिशुओं की मौत नहीं होती.
रूस में बने 'द ब्लू व्हेल चैलेंज' सुसाइड गेम ने दुनियाभर में लगभग 300 जानें ली हैं और अब भारत में भी इसका असर दिखने लगा है.
नीति आयोग ने सिफारिश की है कि इस बात संभावना तलाशनी चाहिए कि क्या निजी क्षेत्र प्रति छात्र के आधार पर सार्वजनिक वित्त पोषित सरकारी स्कूल को अपना सकते हैं.
वर्ष 2008 से 15 के बीच हर घंटे औसतन 89 नवजात शिशुओं की मृत्यु होती रही है. 62.40 लाख नवजात शिशुओं की मृत्यु जन्म के 28 दिनों के भीतर हुई.
कोर्ट ने कहा, 'ये घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, सही तथ्य सामने आने चाहिए, जिससे इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों. कोर्ट के आदेश से पहले मौत के कारणों पर सरकार का जवाब आना ज़रूरी है.'
शिक्षा के अधिकार अधिनियम को पिछले सात साल में ठीक ढंग से लागू किया गया या नहीं, इसका आकलन किसी ने नहीं किया. सभी ने अपनी नाकामी को बच्चों पर थोप दिया और बच्चों की किसी ने पैरवी तक नहीं की.
महिला और बाल विकास मंत्रालय ने एक मैनुअल जारी कर कर्मचारियों को अच्छा माहौल बनाए रखने के दिए निर्देश.