बराबरी न केवल अनुच्छेद 14 के तहत मिला मौलिक अधिकार है, बल्कि संविधान की प्रस्तावना में लिखित एक उद्देश्य तथा संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा भी है. समता का सिद्धांत यह है कि समान व्यक्तियों के साथ समान बर्ताव तथा अलग के साथ अलग बर्ताव किया जाए.
ऐसा क्यों है कि अलग-अलग जगहों से आने वाले बच्चे यहां आकर लड़ने वाले बच्चे बन जाते हैं? बढ़ी हुई फीस का मसला सिर्फ जेएनयू का नहीं है. घटी हुई आज़ादी का मसला भी सिर्फ जेएनयू का नहीं है.
जेएनयू शिक्षा और संघर्ष का अनूठा उदाहरण है. जेएनयू का यही अनूठापन वर्चस्वशाली ताकतों और कट्टरपंथियों की आंखों में खटकता है.
ऐसे सामाजिक पारिवारिक परिवेश, जिसमें उच्च शिक्षा की कल्पना डॉक्टरी-इंजीनियरिंग के दायरे से पार नहीं गई और नौकरी से परे शिक्षा को देखना एक तरह से अय्याशी और दूर की कौड़ी समझा जाता था, जेएनयू ने समझाया कि ये एक साज़िश है- समाज के बड़े तबके को बराबरी महसूस न होने देने की.