मध्य प्रदेश में छह सरकारी मेडिकल कॉलेज के क़रीब तीन हज़ार जूनियर डॉक्टर अपनी छह सूत्रीय मांगों को लेकर बीते 31 मई से हड़ताल पर थे. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बीते बृहस्पतिवार को डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध क़रार देते हुए उन्हें 24 घंटों में काम पर लौटने का आदेश दिया था. उसके कुछ घंटों बाद डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफ़ा दे दिया.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि अख़बारों में प्रकाशित ख़बरों के अनुसार पिछले दो हफ़्तों में ऐसी तमाम घटनाएं हुई हैं, जिसमें ऑक्सीजन आपूर्ति में बाधा और ऑक्सीजन की कमी की वजह से लोगों ने जान गंवा दी. इस बीच राज्य के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने दावा किया कि अब प्रदेश में चिकित्सकीय ऑक्सीजन संबंधी कोई दिक्कत नहीं है.
केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार अदालत के सवाल पर हलफ़नामा देगी और मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र को अधिक ऑक्सीजन देने का कारण बताएगी. इस बीच केंद्र ने राज्यों से शुक्रवार को कहा कि वे उपलब्ध ऑक्सीजन को महत्वपूर्ण वस्तु की तरह लें और निजी अस्पतालों समेत सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत की समीक्षा करवाएं.
ऑक्सीजन टैंकरों को विभिन्न राज्यों द्वारा रोकने के संबंध में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य सहित हर राज्य से यह अपेक्षा की जाती है कि वह ऑक्सीजन की आवाजाही को बाधित न करें. ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति से अस्पतालों में समय पर ऑक्सीजन की आपूर्ति में बाधा आ सकती है, जो संकट के इस समय में जीवन बचाने के लिए महत्वपूर्ण है.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कई निर्देश देते हुए कहा कि स्वास्थ्य, मौलिक अधिकार होने के अलावा बुनियादी मानवाधिकार भी है, जिसे कोई भी लोकप्रिय सरकार नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती है. सामाजिक न्याय एवं समानता में स्वास्थ्य का अपना एक स्थान है और यह सभी के लिए सुलभ होना चाहिए.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और मध्य प्रदेश नर्सिंग होम एसोसिएशन के सदस्यों ने अधिक फ़ीस लेने से बचने को कहा है. अदालत ने कोविड-19 मरीज़ों के इलाज से संबंधित दर का निर्धारण कर इसका प्रचार-प्रसार करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बीते साल यौन उत्पीड़न के आरोपी को पीड़िता से राखी बंधवाने के शर्त पर ज़मानत दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इसे निरस्त करते हुए कहा यह यौन उत्पीड़न के अपराध को कमतर करता है. कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के मामलों में ज़मानत देने के दिशानिर्देश भी दिए हैं.
शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी साल 2018 के एक मामले के संबंध में आई है, जहां मध्य प्रदेश के एक पूर्व जिला जज पर एक जूनियर महिला अधिकारी ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. जज ने उनके ख़िलाफ़ हाईकोर्ट द्वारा शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
मामले में सह-आरोपी सदाक़त ख़ान ने उसी आधार पर ज़मानत के लिए याचिका दायर की थी, जिस आधार पर फ़ारूक़ी को चार दिन पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम ज़मानत दी गई थी. हालांकि अतिरिक्त जिला जज ने कहा कि क़ानून के तहत ज़मानत देना न्यायोचित नहीं है.
केंद्रीय जेल प्रशासन ने इलाहाबाद की एक अदालत के जारी पेशी वॉरंट का हवाला देते हुए फारुकी की रिहाई में शनिवार देर शाम असमर्थता जताई थी. हालांकि देर रात सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश ने इंदौर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को फोन किया और उन्हें अपलोड किए गए आदेशों के लिए वेबसाइट देखने और उसका अनुपालन करने के लिए कहा.
स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी को जनवरी में हिंदू देवताओं के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में इंदौर में गिरफ़्तार किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि उनकी गिरफ़्तारी में 2014 में दिए सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया था.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी की ज़मानत याचिका यह कहते हुए ख़ारिज कर दी कि ज़मानत देने का कोई आधार नहीं बनता है. फ़ारूक़ी को इस महीने की शुरुआत में हिंदू देवताओं के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी को इस महीने की शुरुआत में हिंदू देवताओं के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है. पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स ने कहा कि यह मामला मौलिक स्वतंत्रता की उपेक्षा और इसे बनाए रखने में न्यायपालिका के विफलता का प्रतीक है.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी की ज़मानत याचिका पर सोमवार को आदेश सुरक्षित रख लिया है. उन्हें इस महीने की शुरुआत में इंदौर में हिंदू देवताओं के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
फिल्म और धारावाहिक निर्माता एकता कपूर के ख़िलाफ़ ट्रिपल एक्स नाम की वेब सीरीज के प्रसारण के ज़रिये अश्लीलता फैलाने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और राष्ट्रीय प्रतीक चिह्नों के अपमान के आरोपों में इंदौर के थाने में पांच महीने पहले प्राथमिकी दर्ज की गई थी.