काश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बातें बनाने के बजाय समझते कि आंदोलन तो होते ही सत्ताओं की निरंकुशता पर लगाम लगाने के लिए हैं और उन्हें ख़त्म करने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि ख़ुद पर उनका अंकुश हमेशा महसूस किया जाता रहे.
राज्य में चार चरण के मतदान के बाद नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने सांप्रदायिकता का नारा बुलंद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, पर यह तो वक़्त ही बताएगा कि उनकी विभिन्न जातियों के हिंदुओं को साथ लाने की ये कोशिश कामयाब होगी या नहीं.