पिछले साल अगस्त में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म कर इसे दो भागों में बांटने के बाद से ही यहां 4जी इंटरनेट सेवाएं बंद हैं. अब केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि जम्मू के एक और कश्मीर के एक ज़िले में 4जी सेवा शुरू की जाएगी.
बीते साल अगस्त में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म कर इसे दो भागों में बांटने के बाद से ही यहां 4जी इंटरनेट सेवाएं बंद हैं. बीत हफ्ते उपराज्यपाल जीसी मुर्मू ने कहा था कि घाटी में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल की जा सकती हैं.
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने साल 1971 के उस सर्कुलर को वापस ले लिया है जिसके तहत आर्मी, बीएसएफ, सीआरपीएफ इत्यादि को ज़मीन अधिग्रहण के लिए गृह विभाग से एनओसी लेनी होती थी.
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल जीसी मुर्मू ने कहा, '4जी समस्या नहीं बनेगा. मैं इस बात से भयभीत नहीं हैं कि लोग इसका कैसे इस्तेमाल करेंगे. पाकिस्तान अपना प्रोपगेंडा करेगा चाहे 2जी हो या 4जी.'
बीते मई में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि जम्मू कश्मीर में 4जी इंटरनेट प्रतिबंध पर केंद्र एक विशेष समिति बनाए. अवमानना याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी न करते हुए कोर्ट ने उसे जवाब देने के लिए एक हफ़्ते का समय दिया गया है.
कोर्ट ने कहा कि उनकी ये जिम्मेदारी है कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा और मानवाधिकारों के बीच बैलेंस बना कर रखें. सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले पर विशेषज्ञों ने सवाल उठाया और कहा कि कोर्ट अपनी न्यायिक जिम्मेदारी नहीं निभा रहा.
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि देश की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा की रक्षा के लिए इंटरनेट की गति कम करने का बहुत उचित प्रतिबंध लगाया गया है.
यूएपीए के तहत आरोपी बनाए गए कश्मीरी पत्रकार और लेखक गौहर गिलानी की गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण एवं प्राथमिकी रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर 20 मई से पहले जवाब दाखिल करने का आदेश दिया.
वाशिंगटन पोस्ट और अल जज़ीरा जैसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों के साथ काम करने वाली 26 वर्षीय महिला फोटो पत्रकार मसरत जहरा कश्मीर की दूसरी पत्रकार हैं जिन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है.
मध्य प्रदेश में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अभिनेत्री और सामाजिक कार्यकर्ता शबाना आज़मी ने कहा कि हमारे मुल्क की अच्छाई के लिए जरूरी है कि हम इसकी बुराइयां भी बताएं. अगर हम बुराइयां बताएंगे ही नहीं, तो हालात में सुधार कैसे लाएंगे?
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार एक अध्यादेश लेकर आई है जिसके तहत निजी विश्वविद्यालयों को राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल नहीं होने का एक शपथपत्र देना पड़ेगा. कांग्रेस ने इसे आरएसएस की विचारधारा थोपने वाला बताया है.