पुस्तक समीक्षा: विश्लेषकों की निगाह में भारत अधिनायकवाद के स्याह गर्त में जाता दिख रहा है और विभाजक राजनीति के लगातार वैधता हासिल करने को लेकर चिंता की लकीरें बढ़ रही हैं. प्रख्यात शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता राम पुनियानी की नई किताब इस बहस में एक नया आयाम जोड़ती है.