‘टू मच डेमोक्रेसी’ में जनता कहां है

जैसे आर्थिक नीतियों को देशवासियों के बजाय कॉरपोरेट के लिए उदार बनाने की प्रक्रिया को उदारवाद का नाम दिया गया और देश के संसाधनों की लूट की खुली छूट देने को विकास के लिए सुधार कहा जाता है, क्या वैसे ही अब सारी अलोकतांत्रिकताओं को लोकतंत्र कहा जाने लगेगा?

नीति आयोग सीईओ बोले, देश में ‘अधिक लोकतंत्र’, बाद में कहा- नहीं दिया ऐसा बयान

एक ऑनलाइन कार्यक्रम में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि देश में कड़े सुधार नहीं ला सकते क्योंकि यहां ‘बहुत ज़्यादा लोकतंत्र’ है. उनके इस बयान से मुकरने के बाद कुछ मीडिया संस्थानों ने इस बारे में प्रकाशित की गई ख़बर हटा ली, हालांकि सामने आए कुछ वीडियो में वे ऐसा कहते नज़र आ रहे हैं.

स्वस्थ लोकतंत्र के लिए सोशल मीडिया की आज़ादी पर अंकुश नहीं लगना चाहिए: अटॉर्नी जनरल

आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में रिपब्लि​क टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी को ज़मानत मिलने के संबंध में कथित आपत्तिजनक ट्वीट के लिए स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा और कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा के ख़िलाफ़ हाल ही में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मंज़ूरी दी है.

भारत में पहली बार ट्विटर ने भाजपा आईटी सेल के ट्वीट को ‘मैनीपुलेटेड मीडिया’ क़रार दिया

भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय द्वारा किसानों के विरोध प्रदर्शन की एडिटेड क्लिप ट्वीट किए जाने के एक दिन बाद ट्विटर ने उसे 'मैनीपुलेटेड मीडिया' के तौर पर चिह्नित किया है, जिसका आशय है कि उस ट्वीट में शेयर की गई जानकारी से छेड़छाड़ की गई है.

लोकतंत्र में सरकारी कार्यालयों को आलोचना का सामना करना पड़ता है: बॉम्बे हाईकोर्ट

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि अगर हम युवाओं को उनके विचार अभिव्यक्त नहीं करने देंगे तो उन्हें कैसे पता चलेगा कि वे जो अभिव्यक्त कर रहे हैं, वह सही है या ग़लत.

लोकतंत्र बचा सकने वाली अकेली संस्था ही इसका गला घोंटने में मदद कर रही है

भारत में अक्सर न्यायिक आज़ादी के रास्ते में कार्यपालिका और कभी-कभी विधायिका द्वारा बाधा डालने की संभावनाएं देखी जाती हैं, लेकिन जब न्यायपालिका के भीतर के लोग ही अन्य शाखाओं के सामने झुक जाते हैं, तो स्थिति बिल्कुल अलग हो जाती है.

धर्म के आधार पर नागरिकता क़ानून बनाना जायज़ नहीं

वीडियो: पिछले कुछ समय से विपक्ष की आवाज़ को संसद और संसद से बाहर दबाने की कोशिश हो रही है. नागरिकता संशोधन क़ानून विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेने वालों को जेल में डाला जा रहा है. उन्हें दिल्ली दंगों में फंसाया जा रहा है. इन मुद्दों पर पूर्व उप राष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

उमर ख़ालिद की गिरफ़्तारी और संसद में खामोश विपक्ष से कमज़ोर होता लोकतंत्र

वीडियो: जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर ख़ालिद की गिरफ़्तारी पर कार्यकर्ताओं के एक समूह ने बयान जारी कर दिल्ली पुलिस की निंदा करते हुए कहा है कि शांतिपूर्ण सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाने के लिए पुलिस अपनी दुर्भावनापूर्ण जांच के ज़रिये उन्हें फंसा रही है.

5 अगस्त 2020 को भारतीय लोकतंत्र के लिए एक त्रासदी के तौर पर याद किया जाएगा

जिस जगह पर 500 से अधिक सालों तक एक मस्जिद थी, वहां भव्य मंदिर बनेगा. इस मंदिर की आलीशान इमारत की परछाई में मुझे वो भारत डूबता दिख रहा है, जहां मैं पला-बढ़ा. फिर भी मेरा विश्वास है कि यह देश अपने मौजूदा शासकों के नफ़रत से कहीं अधिक बड़ा है.

अमेरिका: डोनाल्ड ट्रंप के ट्वीट पर ट्विटर ने पहली बार फैक्ट चेक करने की चेतावनी दी

ट्विटर की चेतावनी के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि ट्विटर अब 2020 में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव में हस्तक्षेप कर रहा है. उन्होंने ट्विटर पर बोलने की आजादी का गला घोंटने का आरोप लगाते हुए कहा कि मैं एक राष्ट्रपति के रूप में ऐसा करने की अनुमति नहीं दूंगा.

लोकतंत्र का गला घोंटने के लिए राज्य आपराधिक मानहानि का इस्तेमाल नहीं कर सकते: मद्रास हाईकोर्ट

मीडिया संगठनों के ख़िलाफ़ तमिलनाडु सरकार द्वारा दायर याचिका को मद्रास हाईकोर्ट ने ख़ारिज करते हुए कहा कि राज्य को आपराधिक मानहानि के मुकदमे दायर करने में बेहद संयम और परिपक्वता दिखानी चाहिए.

कोरोना वायरस: ताकि लोकतंत्र की उम्मीदें कायम रहें…

इतिहास से अगर कुछ साबित होता है तो सिर्फ़ यही कि आधुनिक राज्य आम तौर पर हुकूमत करने के लिए और ख़ास तौर पर दमन करने के लिए जो तरीके अपनाता है, किस तरह उनकी जड़ें महामारियों से निपटने के उपायों तक भी जाती हैं.

संविधान जजों का पवित्र ग्रंथ, न्याय का पलड़ा वंचितों की ओर झुका होना चाहिए: जस्टिस दीपक गुप्ता

अपने विदाई भाषण में जस्टिस दीपक गुप्ता ने पूरी न्यायिक व्यवस्था में मानवीय मूल्यों को स्थापित करने की बात की. उन्होंने कहा कि वकील अपने मुवक्किल से बेतहाशा फीस नहीं ले सकते हैं.

एक डरावने दौर से गुज़र रहा है भारत का लोकतंत्र

देश में एक लंबी और मुश्किल लड़ाई के बाद हासिल किए गए लोकतांत्रिक अधिकार ख़तरे में हैं क्योंकि सत्ताधारी दल द्वारा उनका दुरूपयोग किया जा रहा है.

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