लोकपाल के पास प्रधानमंत्री समेत सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का अधिकार होता है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2019-20 में जितनी शिकायतें मिलीं, उससे अगले वर्ष 92 प्रतिशत कम शिकायतें आई हैं. लोकपाल को 2019-20 में भ्रष्टाचार की 1427 शिकायतें मिली थीं.
साल 2011 में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अन्ना हजारे की अगुवाई में चले लोकपाल आंदोलन के बाद साल 2013 में इसे लेकर क़ानून बनाया गया था, लेकिन केंद्र समेत कई राज्यों में समय पर नियुक्ति न होने और फंड की कमी जैसे कारणों के चलते यह दयनीय स्थिति में है.
लोकपाल के अनुसार, कुल शिकायतों में से 1,347 का निस्तारण किया गया. इनमें से 1,152 शिकायतें लोकपाल के अधिकार क्षेत्र से बाहर की थीं. शिकायतों में से 245 शिकायतें केंद्र सरकार के अधिकारियों के विरुद्ध थीं.
अगर प्रधानमंत्री के खिलाफ शिकायत को खारिज किया जाता है तो इसका कोई कारण नहीं बताया जाएगा. वहीं केंद्रीय मंत्री या संसद के सदस्यों के खिलाफ मामला है तो इस संबंध में लोकपाल के कम से कम तीन सदस्यों की पीठ फैसला लेगी.
लोकपाल को वर्तमान वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 101.29 करोड़ रुपये दिए गए थे, जिसे कम करके 18.01 करोड़ रुपये कर दिया गया है. वित्त वर्ष 2019-2020 में सीबीआई को 781.01 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. यह राशि बाद में घटाकर 798 करोड़ रुपये कर दी गई थी.
लोकपाल का अभी तक कोई स्थायी कार्यालय नहीं है. फिलहाल ये नई दिल्ली के अशोका होटल से काम कर रहा है. लोकपाल को अब तक कुल 1,160 शिकायतें मिली हैं लेकिन किसी भी मामले में जांच शुरू नहीं हुई है.
नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि सीबीआई को अधिक स्वायत्त बनाने के लिए कैग की तरह दर्जा मिलना चाहिए, जिससे वह प्रशासनिक नियंत्रण से अलग हो सकें.
लोकपाल के लिए आवंटित किए गए बजट को निर्माण और स्थापना संबंधी कार्यों में ख़र्च किया जाएगा.
लोकपाल के अध्यक्ष और इसके सदस्यों की नियुक्ति में सत्ता पक्ष के सदस्यों की संख्या अधिक थी और चयन में पूरी तरीके से गोपनीयता बरती गई. ऐसा करना लोकपाल कानून के प्रावधानों का पूरी तरह से उल्लंघन है. चयन प्रक्रिया से समझौता करके मोदी सरकार ने कामकाज शुरू करने से पहले ही लोकपाल संस्था को कमजोर कर दिया है.
लोकपाल अध्यक्ष चुनने में हुई देरी और लंदन में हीरा व्यापारी नीरव मोदी की गिरफ़्तारी पर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नजरिया.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस पीसी घोष को देश के पहले लोकपाल के अध्यक्ष के तौर पर नियुक्ति को मंजूरी दी. इसके अलावा लोकपाल में आठ सदस्यों की नियुक्ति भी की गई.
मोदी सरकार द्वारा किसी भी तरह की फास्ट ट्रैक कार्यवाही के इरादे के बिना जांच एजेंसियों के कथित पक्षपातपूर्ण इस्तेमाल को संगठित विपक्ष द्वारा बखूबी भुनाया जाएगा.
महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले में स्थित अपने पैतृक गांव रालेगण सिद्धि में बीते 30 जनवरी से सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे भूख हड़ताल पर बैठे हैं. 1992 में उन्हें भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्मविभूषण मिला था.
प्रधानमंत्री कार्यालय के रुख के ख़िलाफ़ ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन. लोकपाल की मांग को लेकर महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले में स्थित अपने गांव रालेगण सिद्धी में बीती 30 जनवरी को सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भूख हड़ताल शुरू की थी.
अन्ना हजारे ने कहा कि हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तब केंद्र सरकार सत्ता में आने से पहले किए गए अपने वादों जैसे- लोकायुक्त क़ानून बनाने, लोकपाल नियुक्त किए जाने तथा किसानों के मुद्दे सुलझाने को पूरा नहीं कर देती.