2017 के विधानसभा चुनाव से ऐन पहले शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना ली थी. पिछले हफ़्ते अखिलेश यादव ने भी शिवपाल यादव के दल से गठबंधन के संकेत दिए थे.
कुछ लोगों का मानना है कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार को सीबीआई से मिली क्लीनचिट ने मायावती के मन में विद्वेष का बीज डाला.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले परिवार में समाजवादी पार्टी की कमान को लेकर हुए विवाद के बाद से शिवपाल यादव हाशिये पर चल रहे थे. उन्होंने सपा से अलग होकर समाजवादी सेकुलर मोर्चा नाम का एक संगठन बनाया था.
उम्मीदवारों के चयन से उभरे असंतोष और मतदाताओं में बदले जातीय गुणा-गणित से यूपी इलेक्शन के तीसरे चरण में समाजवादी पार्टी की राह मुश्किल हो सकती है
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अगर किसी दल को बहुमत नहीं मिलता है तो सरकार बनाने में शिवपाल की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी.