नल जल योजना में स्रोत से लेकर गांव की हद तक पानी पहुंचाने का काम कंपनियों को सौंपा गया है. कोई गारंटी नहीं कि कंपनी आपूर्ति के मूल जल-स्रोत पर अपना हक़ नहीं जताएगी. एकाधिकार हुआ तो सिंचाई आदि के लिए पानी से इनकार किया जा सकता है, वसूली भी हो सकती है. मोदी सरकार की अन्य कई योजनाओं की तरह नल-जल का एजेंडा काॅरपोरेट नहीं होगा, इसकी क्या गारंटी है?
विशेष रिपोर्ट: जहां एक तरफ मोदी सरकार आम जनता से जल संरक्षण के लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की अपील कर रही है, वहीं आरटीआई के तहत प्राप्त दस्तावेज बताते हैं कि केंद्र की कुल 1367 कार्यालय भवनों में से सिर्फ 150 में ही रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए गए हैं.