क्या 2021 का बजट भारत को विकास की पटरी पर वापस ला सकता है

सरकार उम्मीद कर रही है कि भौतिक ओर सामाजिक- दोनों की तरह के बुनियादी ढांचे पर उसके द्वारा किया जाने वाला बड़ा खर्च नई आय पैदा करेगा, जिससे ख़र्च भी बढ़ेगा. पूंजीगत ख़र्चे में इस बढ़ोतरी का लाभ 4-5 साल में दिखेगा, बशर्ते इसका अमल सही हो.

/
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर (फोटो: पीटीआई)

सरकार उम्मीद कर रही है कि भौतिक और सामाजिक- दोनों की तरह के बुनियादी ढांचे पर उसके द्वारा किया जाने वाला बड़ा ख़र्च नई आय पैदा करेगा, जिससे ख़र्च भी बढ़ेगा. पूंजीगत ख़र्चे में इस बढ़ोतरी का लाभ 4-5 साल में दिखेगा, बशर्ते इसका अमल सही हो.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर (फोटो: पीटीआई)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर (फोटो: पीटीआई)

नरेंद्र मोदी सरकार वैश्विक महामारी से हलकान अर्थव्यवस्था, जो 2018-19 से ही नीचे की ओर गोता खा रही थी, की सेहत में सुधार पर दांव लगा रही है.

उसकी आस बुनियादी ढांचे के लिए पैसा जुटाने के लिए बाजार से भारी मात्रा में कर्ज लेने और थोक में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण और सड़क, एयरपोर्ट, अतिरिक्त सार्वजनिक जमीन आदि जैसी सार्वजनिक संपत्तियों की बिक्री पर टिकी है. उसे यह उम्मीद यह है कि नए निवेश से विकास और रोजगार को वापस पटरी पर आ जाएंगे.

शेयर बाजार ने भारी मात्रा में कर्ज लेने और सार्वजनिक संपत्तियों की बिक्री के दांव का स्वागत किया है, लेकिन इसका अमल एक बड़ी चुनौती होगी क्योंकि अभी तक सरकार इच्छानुसार कीमतों पर अपने कई लाभ कमा रहे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए वैश्विक स्तर पर खरीददारों को आकर्षित कर पाने में कामयाब नहीं हुई है.

पिछले छह वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और सरकारी बैंकों के शेयरों की कीमतें नीचे से नीचे गिरती गई हैं और नौकरशाह इन संपत्तियों का वाजिब दाम देने वाले खरीददारों की तलाश करने के लिए संघर्ष कर रहे है.

इनमें से कई संपत्तियां पिछले साल ही बिक्री के लिए नुमाइश में रख दी गई थीं, लेकिन सरकार बिक्री के अपने लक्ष्यों से काफी पीछे रह गई.

राजनीतिक तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह माहौल बनाया है कि अच्छी सार्वजनिक संपत्तियों की बिक्री, जिसमें एलआईसी और कुछ बैंकों का विनिवेश भी शामिल है, सरकार के आत्मनिर्भरता मिशन का हिस्सा है. लेकिन हकीकत यह है कि इन संपत्तियों को सस्ते में बेचना आत्मनिर्भरता के उलट है.

आने वाले साल में यह सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने का सारा दारोमदार वित्तीय वर्ष 2022 में जीडीपी के 6.8 प्रतिशत की भारी उधारी और सार्वजनिक संपत्तियों की ताबड़तोड़ बिक्री पर टिका है.

केंद्र और राज्यों की सम्मिलित उधारी जीडीपी के करीब 14 फीसदी तक हो सकती है. सरकार यह उम्मीद कर रही है कि वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां वैश्विक महमारी के बाद ऐसे राजकोषीय उपायों को लेकर पैदा हुई एक प्रकार की आर्थिक सर्वसम्मति की पृष्ठभूमि में धैर्य का प्रदर्शन करेंगी.

वेतनभोगी मध्यवर्ग के लिए आयकर में कोई राहत नहीं दी गई है, जो सेस के अलावा 30-35 फीसदी कर देता रहेगा, जबकि कॉरपोरेट क्षेत्र 25 फीसदी कर ही देता है.

अगर 2019 के उत्तरार्ध में कॉरपोरेट क्षेत्र के लिए टैक्स में की गई भारी कटौती के साथ मिलाकर देखें, तो यह यह बजट पिछले कई दशकों में सबसे ज्यादा कारोबार हितैषी बजट है.

कम टैक्स और सस्ते पैसे की मदद से कॉरपोरेट सेक्टर की बैलेंस शीट को काफी फायदा हुआ है, क्योंकि इसने उनके ब्याज की लागत को काफी कम कर दिया है. उनमें से कई बढ़ा हुआ मुनाफा दिखा रहे हैं. लेकिन बेहतर बैलेंसशीट का नतीजा ज्यादा बहालियों और रोजगार की बेहतर संभावनाओं के तौर पर नहीं निकला है.

इसके उलट कॉरपोरेट क्षेत्र नौकरियां घटा रहा है और लॉकडाउन के समय गए कामगारों की काम पर वापस नहीं ले रहा है. ऐसे में इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि सिर्फ कंपनी की बैलेंस शीट से वास्ता रखनेवाले शेयर बाजार ने बजट को लेकर जबरदस्त उत्साह दिखाया है.

लेकिन वैश्विक महामारी शुरू होने के साथ ही घरेलू बैलेंस शीट बुरी तरह से प्रभावित हुई है और वास्तविकता यह है कि वैश्विक महामारी के आग़ाज से पहले के सालों में यह कमजोर होती गई थी.

पिछले आठ सालों में घरेलू बजट दर में जीडीपी के 5 प्रतिशत अंक की कमी आई. अर्थशास्त्री यह अहम सवाल उठा रहे हैं कि अगर लोग खर्च नहीं करेंगे, तो अगले दो सालों में कुल मांग में बढ़ोतरी कैसे होगी?

उन्हें पहले अपनी गंवाई हुर्ह बचत की वसूली करनी है. उसके बाद ही वे खर्च करना शुरू करेंगे.

सरकार यह उम्मीद कर रही है कि भौतिक और सामाजिक- दोनों की तरह के बुनियादी ढांचे पर इसके द्वारा किया जाने वाला बड़ा खर्च नयी आय पैदा करेगा जिससे खर्च बढ़ेगा.

पूंजीगत खर्चे में इस बड़ी बढ़ोतरी (34 फीसदी) का फायदा 4-5 साल में दिखाई देगा, बशर्ते इसका अमल सही हो. इन परियोजनाओं के आगे बढ़ने के लिए राज्यों और केंद्र के बीच राजनीतिक अर्थव्यवस्था से संबंधित तनावों का नरम पड़ना भी अनिवार्य है.

आज केंद्र और राज्य के बीच बढ़ रही भरोसे की कमी परियोजनाओं के सुचारू कार्यान्वयन में मुश्किल पैदा करती है.

कुल मिलाकर नोटबंदी के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था में आई संरचनात्मक गिरावट और कई दशकों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी अनुपात को इतनी जल्दी दुरुस्त नहीं किया जा सकता है.

सीएमआईई के आंकड़े दिखाते हैं कि भारत में श्रम बल से बाहर रहने वाले रोजगार लायक कामगारों की संख्या में भारी वृद्धि हो रही है.

श्रम भागीदारी अनुपात- जो कुल करीब 1 अरब के रोजगार योग्य श्रम बल में नौकरी की खोज कर रहे लोगों का प्रतिशत है- नीचे गिरकर 44 फीसदी पर आ गया है, जबकि पूर्वी एशिया के अन्य तुलना लायक अर्थव्यवस्थाओं में यह अनुपात 60 से 66 फीसदी के बीच है.

ये वे संरचनात्मक समस्याएं हैं, जिनका समाधन आने वाले कुछ सालों में किए जाने की जरूरत है. जब आईएमएफ यह कहा रहा हो कि कोविड से पहले के उत्पादन के स्तर के लौटने में भारत को तीन साल का वक्त लग सकता है, तो कोई यह पक्के तौर पर नहीं कह सकता है कि आखिर रोजगार निर्माण में गति कैसे आएगी?

क्या यह बजट भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत विकास की पटरी पर वापस ला सकता है, इस मुकाम पर इस सवाल का जवाब देना मुश्किल है.

यह कई कारकों पर निर्भर करता है और इनमें सरकार द्वारा परोसी जाने वाली विभाजनकारी राजनीति की दैनिक खुराक भी शामिल है. कई प्रमुख अर्थशास्त्रियों की इस बात को मत भूलिए कि विभाजनकारी सामाजिक नीति संतुलित आर्थिक विकास में सहायक नहीं होती है.

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games