राजधानी दिल्ली में छह महीने में विभिन्न बीमारियों से 433 नवजातों की मौत: आरटीआई

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने 16 स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिटों में बच्चों की मौत का कारण रक्त में संक्रमण, निमोनिया, मेनिनजाइटिस, सांस संबंधी बीमारी, पैदा होने के वक़्त ऑक्सीजन की कमी, वक्त से पहले जन्म आदि बताए हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)​​​

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने 16 स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिटों में बच्चों की मौत का कारण रक्त में संक्रमण, निमोनिया, मेनिनजाइटिस, सांस संबंधी बीमारी, पैदा होने के वक़्त ऑक्सीजन की कमी, वक्त से पहले जन्म आदि बताए हैं.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी के स्वास्थ्य क्षेत्र में तमाम दावों और कोशिशों के बावजूद बीते साल के शुरुआती छह महीनों में ही ‘स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट’ में विभिन्न बीमारियों की वजह से 433 बच्चों की जान चली गई. सबसे ज्यादा नवजातों की मौत, रक्त में संक्रमण, निमोनिया और मेनिनजाइटिज से हुई. आरटीआईटी के जवाब में राज्य सरकार ने यह जानकारी दी है.

दिल्ली सरकार के 16 स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिटों (एसएनसीयू) में जनवरी 2017 से जून 2017 के बीच 8,329 नवजातों को भर्ती कराया गया था जिनमें 5,068 नवजात लड़के और 3,787 नवजात लड़कियां थीं.

दिल्ली के आरटीआई कार्यकर्ता युसूफ नकी के सूचना का अधिकार आवेदन पर राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि जनवरी 2017 से जून 2017 के बीच दिल्ली के 16 एसएनसीयू में 433 बच्चों की मौत हुई है.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने बच्चों की मौत का कारण रक्त में संक्रमण, निमोनिया और मेनिनजाइटिस, सांस संबंधी बीमारी, पैदा होने के वक्त ऑक्सीजन की कमी, वक्त से पहले जन्म, मेकोनियम ऐपीरेशन सिंड्रोम, पैदाइशी बीमारी और अन्य कारण बताएं हैं. इसके अलावा दो नवजातों की मौत की वजहों का पता नहीं है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने  बताया कि अगर बच्चे के खून में संक्रमण है और यह फेफड़ों में जाता है तो इससे निमोनिया होता है और यही संक्रमण दिमाग की बाहरी दीवारों में चला जाता है तो इससे मेनिनजाइटिज होता है.

उन्होंने बताया कि पैदा होने के वक्त ऑक्सीजन की कमी से मस्तिष्क क्षतिग्रस्त हो जाता है, जिससे बच्चे की मृत्यु हो जाती है, जबकि मेकोनियम के तहत बच्चा पैदा होते ही कीटाणु को अपने अंदर ले लेता है. यह एक प्रकार का मेडिकल आपातकाल होता है.

उन्होंने कहा कि अगर बच्चे में पैदाइशी दिल की बीमारी, गुर्दे का रोग, मस्तिष्क की बीमारी होती है और अगर इन बीमारियों में बच्चे को तुरंत इलाज नहीं दिया जाता है तो उससे मौत हो सकती है.

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि एसएनसीयू में सांस संबंधी या गंभीर बीमारी से पीड़ित या ऐसे बच्चों को भेजा जाता है जिन्हें विशेष देखभाल की अधिक जरूरत हो.

विभाग ने बताया कि दिल्ली में 2016 में शिशु मृत्यु दर 1000 बच्चों पर 18 थी. हालांकि इसी अवधि में राष्ट्रीय दर 34 रही.

शिशु मृत्यु दर सबसे कम गोवा की है जहां 2016 में प्रति 1000 बच्चों पर आठ की मौत हुई थी. इसके बाद केरल में 1000 बच्चों पर 10 की मौत हुई. हालांकि वर्ष 2016 में सबसे ज्यादा शिशु मृत्यु दर मध्य प्रदेश में रही, जहां प्रत्येक 1000 बच्चों पर 47 बच्चों की मौत हुई.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games