‘दलित’ शब्दावली का इस्तेमाल करने से बचें, क्योंकि संविधान में इसका उल्लेख नहीं: सरकार

केंद्र ने राज्य और केंद्र सरकार के विभागों से सरकारी कामकाज और दस्तावेजों में अनुसूचित जाति से जुड़े सभी लोगों के लिए ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल करने से बचने का निर्देश दिया है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

केंद्र ने राज्य और केंद्र सरकार के विभागों से सरकारी कामकाज और दस्तावेजों में अनुसूचित जाति से जुड़े सभी लोगों के लिए ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल करने से बचने का निर्देश दिया है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र ने राज्य और केंद्र सरकार के विभागों से सरकारी कामकाज और दस्तावेजों में अनुसूचित जाति से जुड़े सभी लोगों के लिए ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल करने से बचने का निर्देश दिया है.

सामाजिक न्याय मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन को 10 फरवरी 1982 को जारी गृह मंत्रालय के एक निर्देश का हवाला देते हुए अधिकारियों को अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र में ‘हरिजन’ शब्द को सम्मिलित न करने को कहा है.

उन्हें केवल उस जाति का उल्लेख करने को कहा है जिससे वह व्यक्ति ताल्लुक रखता है और राष्ट्रपति के आदेशों के तहत अनुसूचित जाति के रूप में जिसे मान्यता दी गई थी.

सभी मुख्य सचिवों को लिखे गए पत्र में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा 15 जनवरी को दिए गए आदेश का भी उल्लेख किया गया है. इस आदेश में केंद्र सरकार/राज्य सरकारों और इसके विभागों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए ‘दलित’ शब्दावली का इस्तेमाल करने से बचने को कहा गया है क्योंकि भारत के संविधान या किसी विधान में इसका कोई उल्लेख नहीं पाया गया है.

15 मार्च को जारी निर्देश में कहा गया है, ‘सभी राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रशासन से आग्रह है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत जारी राष्ट्रपति के आदेशों में अधिसूचित अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले लोगों के लिए सभी सरकारी कामकाज, मामलों, लेनदेन, प्रमाणपत्रों आदि में संवैधानिक शब्द अंग्रेजी में ‘शिड्यूलड कास्ट’ (अनुसूचित जाति) और इसका अन्य राष्ट्रीय भाषाओं में उचित अनुवाद का ही इस्तेमाल होना चाहिए.’

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