एनआरसी से नाम हटने का मतलब मतदाता सूची से नाम कटना नहीं: चुनाव आयोग

मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून 1950 के तहत मतदाता के पंजीकरण के लिए तीन जरूरी अनिवार्यताओं में आवेदक का भारत का नागरिक होना, न्यूनतम आयु 18 साल होना और संबद्ध विधानसभा क्षेत्र का निवासी होना शामिल है.

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Nagaon: People check their names on the final draft of the state's National Register of Citizens after it was released, at a NRC Seva Kendra in Nagaon on Monday, July 30, 2018. (PTI Photo) (PTI7_30_2018_000108B)
Nagaon: People check their names on the final draft of the state's National Register of Citizens after it was released, at a NRC Seva Kendra in Nagaon on Monday, July 30, 2018. (PTI Photo) (PTI7_30_2018_000108B)

मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून 1950 के तहत मतदाता के पंजीकरण के लिए तीन जरूरी अनिवार्यताओं में आवेदक का भारत का नागरिक होना, न्यूनतम आयु 18 साल होना और संबद्ध विधानसभा क्षेत्र का निवासी होना शामिल है.

Nagaon: People check their names on the final draft of the state's National Register of Citizens after it was released, at a NRC Seva Kendra in Nagaon on Monday, July 30, 2018. (PTI Photo) (PTI7_30_2018_000108B)
असम के नौगांव में एनआरसी सेवा केंद्र में अपना नाम देखते लोग. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से नाम हटने का मतलब यह नहीं है कि मतदाता सूची से भी ये नाम हट जायेंगे.

असम में हाल ही में जारी एनआरसी से लगभग 40 लाख लोगों के नाम हटने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने स्पष्ट किया कि एनआरसी से नाम हटने पर मतदाता सूची से स्वत: नाम कटने का अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए.

रावत ने को बताया, ‘यह एनआरसी का मसौदा है. इसके बाद अगले एक महीने में इन सभी 40 लाख लोगों को उनका नाम शामिल नहीं किए जाने का कारण बताया जाएगा.’

उन्होंने कहा कि इसके बाद जिन लोगों के नाम एनआरसी से हटाये गये हैं, वे इस पर ट्रिब्यूनल में अपनी आपत्ति और दावे दायर कर सकेंगे. इनके निस्तारण के बाद एनआरसी का अंतिम मसौदा जारी किया जायेगा. रावत ने स्पष्ट किया कि असम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अगले सप्ताह एनआरसी के अंतिम मसौदे के प्रकाशन के विभिन्न पहलुओं पर अपनी तथ्यात्मक रिपोर्ट देंगे.

उन्होंने कहा कि एनआरसी से नाम हटने का अर्थ यह नहीं है कि असम की मतदाता सूची से भी स्वत: नाम हट जायेंगे. क्योंकि जनप्रतिनिधित्व कानून 1950 के तहत मतदाता के पंजीकरण के लिए तीन जरूरी अनिवार्यताओं में आवेदक का भारत का नागरिक होना, न्यूनतम आयु 18 साल होना और संबद्ध विधानसभा क्षेत्र का निवासी होना शामिल है.

ऐसे लोगों को मतदाता सूची में अपना पंजीकरण कराने के लिए मतदाता पंजीकरण अधिकारी के समक्ष दस्तावेजी सबूतों के आधार पर यह साबित करना होगा कि वह भारत का नागरिक है. साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची और एनआरसी बनाने का काम अलग-अलग है लेकिन अधिकारी इस दिशा में मिलकर काम कर रहे हैं.

रावत ने कहा कि चुनाव आयोग की मुहिम का मकसद है कि कोई मतदाता छूट न जाये. इसके मद्देनजर असम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से एनआरसी संयोजक के साथ करीबी तालमेल बनाकर 2019 के लिए मतदाता सूचियों की समीक्षा करने को कहा गया है. इसके आधार पर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए चार जनवरी 2019 को मतदाता सूची का अंतिम मसौदा जारी किया जा सके.

उल्लेखनीय है कि हाल ही में जारी एनआरसी के मसौदे में 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.89 करोड़ के नाम शामिल किए गए हैं. इनमें से लगभग 40 लाख लोगों के नाम कटने के बाद राज्य की मतदाता सूची में इनके नाम हटने की आशंकाओं के मद्देनजर रावत ने यह स्पष्टीकरण दिया है.

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