‘हिंदू युवा वाहिनी के लोगों ने मेरे पिता को मार डाला’

ग्राउंड रिपोर्ट: बुलंदशहर में पिछले दिनों ग़ुलाम अहमद नाम के शख़्स को पीट-पीटकर मार डाला गया. उनके बेटे वकील अहमद के अनुसार, प्रेमी युगल के भागने में उनके पिता का कोई हाथ नहीं था.

//

ग्राउंड रिपोर्ट: बुलंदशहर में पिछले दिनों ग़ुलाम अहमद नाम के शख़्स को पीट-पीटकर मार डाला गया. उनके बेटे वकील अहमद के अनुसार, प्रेमी युगल के भागने में उनके पिता का कोई हाथ नहीं था.

GhulamAhmadCollage
ग़ुलाम अहमद की फाइल फोटो (बाएं) और उनकी पत्नी. (फोटो: कृष्णकांत)

‘योगी जी से मेरा कहना है कि मेरे पिता को जिन लोगों ने मारा है उनको कड़ी सज़ा दें. मैं यह भी चाहता हूं कि कोई निर्दोष आदमी न फंसे. मेरे पापा भी निर्दोष थे. किसी निर्दोष आदमी के मरने पर बहुत दुख होता है. मैं योगी जी से यह भी कहना चाहता हूं अगर वो देश का भला चाहते हैं, सबका भला चाहते हैं तो तत्काल इस हिंदू युवा वाहिनी को बैन कर दें.’

यह अपील है पीटकर मार दिए गुलाम अहमद के बेटे वकील अहमद की. बुलंदशहर के सोही गांव में दो तारीख को ग़ुलाम अहमद की हिंदू युवा वाहिनी से जुड़े कुछ युवकों ने बुरी तरह पिटाई की थी, जिसके बाद ग़ुलाम अहमद की मौत हो गई थी. हिंदू युवा वाहिनी यूपी के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संगठन है. उन्होंने 2002 में इसकी स्थापना की थी. फ़िलहाल योगी हिंदू युवा वाहिनी के मुख्य संरक्षक हैं.

पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अन्य ज़िलों की तरह बुलंदशहर भी ख़ूब समृद्ध है. गांव-गांव तक चौड़ी सड़कें, हरे-भरे आम से लदे बाग़, गन्ने और सब्जियों की हरियाली से भरे खेत, नहरें इस गर्मी में भी पानी है. लेकिन घटनाएं ऐसा संकेत देती हैं कि जीवन में पानी की कमी आ गई है. लोगों के आंख में पानी और ज़िदगी में नमी कम हो गई है.

मैं बाग़-बाग़ीचों के बीच से गुजरती इन सड़कों से होता हुआ बुलंदशहर के पहासू पहुंचा. लोगों ने बताया कि कुछ समय पहले ही यह छोटा-सा बाज़ार हिंदू-मुस्लिम दंगों की चपेट में आया था. फिलहाल शांत था. यहां से कुछ किलोमीटर चलकर हम सोही गांव पहुंचे.

हमने एक आम के बाग़ के बगल से होते हुए गांव में प्रवेश किया. यह वही बाग़ है जिसकी रखवाली करने के दौरान ग़ुलाम अहमद को पीटकर मारा गया. बाग़ में सिर्फ़ आम के पेड़ हैं. वे फलों से लद कर झुके हुए हैं. लेकिन वहां पसरी वीरानी देखकर लगता है कि आम की डालियां फल से नहीं, बल्कि शर्म से झुकी हैं.

सोही गांव के बाहर आम का बाग़ जिसकी रखवाली के दौरान ग़ुलाम अहमद को पीटकर मारा गया. (फोटो: कृष्णकांत)
सोही गांव के बाहर आम का बाग़ जिसकी रखवाली के दौरान ग़ुलाम अहमद को पीटकर मारा गया. (फोटो: कृष्णकांत)

हम गांव की तरफ़ बढ़ गए. गांव में भी कोई हलचल नहीं थी. चारों तरफ़ सन्नाटा था. इक्का-दुक्का लोग दिखे जिनसे हमने ग़ुलाम अहमद के घर का पता पूछा. एक संकरे खड़ंजे से होते हुए हम एक नीम के पेड़ के नीचे पहुंच गए जहां पर दो पुलिसकर्मी चारपाई पर बैठे आराम फरमा रहे थे. उन्हें सुरक्षा के लिए लगाया गया था. पहुंचते ही उन्होंने हमसे हमारे बारे में पूछा और थोड़ी दूर पर बैठे कुछ लोगों की ओर इशारा किया- वहां चले जाओ. ग़ुलाम अहमद का घर वही है.

एक छोटे से बरामदे में चार पांच लोग उदास बैठे थे. ज़मीन पर बोरे बिछे थे. बगल में ख़ाली छोटी सी जगह में एक बकरी बंधी थी. उसके सिर के उपर पत्तियां खाने के लिए जो पाकड़ की डालियां लटकाई गई थीं, उनमें अब सिर्फ लकड़ियों का ठूंठ बचा था, जो गट्ठर बनकर लटक रहा था. पूरा मोहल्ला नालियों से ऐसे बंटा था जैसे मेंढ़ लगाकर खेत बांटे गए हों. लेकिन व्हाट्सअप चुटकुलों से बनी धारणाओं के उलट यह मुसलमान मोहल्ला गंदा बिल्कुल नहीं था. न ही मक्खियां भिनभिना रही थीं.

मेरे पहुंचते ही वहां मौजूद सब लोगों ने मुझे संदेह की नज़र से देखा. पीटकर मार दिए ग़ुलाम अहमद के बेटे वकील अहमद, जिनकी आंखों में डर और अविश्वास साफ दिख रहा था, ने मुझसे पूछा, ‘मैं कैसे मानूं कि आप मीडिया से हैं? मैंने उन्हें अपना कार्ड दिखाया. इसके बाद वे थोड़ा सहज हुए.

मैंने पूछा, यह सब कैसे हुआ? छूटते ही उनका जवाब था, ‘यह सब हिंदू युवा वाहिनी के गुंडों ने किया है.’ उन्होंने वहां बैठे लोगों से मेरा परिचय कराया. उनमें से ज़्यादातर गांव के हिंदू थे. वे सब ग़ुलाम अहमद के यहां मौजूद थे. मुनीम के पद से रिटायर्ड रमेश पाल सिंह ने बताया, ‘गांव में मुसलमानों के सिर्फ़ चार परिवार हैं. कई पीढ़ियों से रह रहे हैं. कभी कोई झगड़ा नहीं हुआ. यह बाहर से आए अराजक तत्वों का काम है, जो नहीं चाहते कि गांव के लोग अमन चैन से रहें.’

P_20170505_113001
मृतक ग़ुलाम अहमद के बेटे वकील अहमद (फोटो: कृष्णकांत)

वकील अहमद ने कहा, ‘ये जो हिंदू युवा वाहिनी है, ये लोग दंगा-फसाद कराते हैं. ये लोग समझते हैं कि हम पुलिस से भी ऊपर हैं. योगी जी ने हमें इतनी इजाज़त दी है कि आप किसी को मार दो. जो लोग ग़लत काम कर रहा है, गाय ले जा रहा है, मुसलमान है तो उसे मार दो. ये नहीं कि उसे क़ानून के सुपुर्द कर दें. ये लोग ख़ुद ही सज़ा देते हैं. ये कौन से क़ानून में लिखा है कि आप ख़ुद ही टीम बनाएं और ख़ुद ही सज़ा दें? फिर पुलिस तो बेकार है! उनकी छुट्टी करो और इन्हीं को तैनात कर दो ताकि ये लोग इसी तरह सबको मार सकें.’

वकील अहमद की शिकायत हिंदुओं से नहीं है. वे कहते हैं, ‘हिंदू युवा वाहिनी को जितनी जल्दी से जल्दी रोका जाए, उतना ही ठीक है. ये कुछ भी करा सकते हैं. ये हिंदू मुसलमान दंगा भी करा सकते हैं. ये इस देश को परेशान और बेकार भी कर सकते हैं. आतंकवादियों की कोई जाति नहीं होती है. यही आतंकवादी हैं.’

रमेश पाल सिंह ने बड़े गर्व से बताया, ‘इन चार परिवारों के मुसलमानों के घर शादी व्याह या कोई काज प्रयोजन बिना हिंदुओं के नहीं हुआ. ये लोग मीट नहीं बनवाते ताकि हिंदू भी खाना खाने आएं. हम सब इनके बारात जाते हैं, ये हमारे यहां जाते हैं. दोनों का एक-दूसरे के बिना कोई काम नहीं होता. गांव के लोग कभी नहीं चाहते कि ऐसा कुछ हो. ग़ुलाम अहमद के जनाज़े में जितने लोग जुटे, उतने लोग किसी नेता के भी जनाज़े में भी नहीं जाते.’

27 अप्रैल को रियाज़ुद्दीन ख़ान का लड़का यूसुफ़ बगल के गांव फज़लपुर की एक हिंदू युवती के साथ ग़ायब हो गया. लड़के के बड़े भाई यूनुस ने बताया, ‘जिस दिन दोनों भागे हैं, हम उनके घर गए थे कि लड़की को समझाओ. यूसुफ़ कुछ ही दिन पहले सऊदी अरब से आया था. इन्हीं कारणों से क़र्ज़ लेकर उसे दो साल पहले सऊदी भगा दिया था. अब लौट कर आया तो फिर से ये दोनों खिचड़ी पका रहे थे. उनके घर पर जब हम बताकर आए, उसी के दो घंटे बाद दोनों ग़ायब हो गए.’

सऊदी अरब से लौट कर यूसुफ़ पहासू में एक नाई की दुकान पर काम करने लगा था. यूनुस के मुताबिक, ‘दोनों के ग़ायब होने के बाद मैं फिर उनके घर गया और लड़की के बाप से कहा कि दोनों ग़ायब हो गए हैं. इस पर लड़की के बाप ने कहा- भाग गई तो भाग गई. जिस दिन से दोनों भागे हैं हम प्रधान जी के साथ उन्हें खोज रहे हैं. हमें मिल जाता तो हम ख़ुद पकड़ कर पुलिस को सौंप देते. उसने हमें बर्बाद किया और गांव का नाम ख़राब किया. उसी के कारण ग़ुलाम अहमद की जान गई. हम चाहते हैं कि उसे कड़ी से कड़ी सज़ा मिले, अगर क़ानून कहता है कि फांसी हो तो उसे फांसी मिलनी चाहिए.’

युवक-युवती के भाग जाने की ख़बर मिलने के बाद से ही ग्राम प्रधान अनुपमा सिंह के पति अरुण प्रताप सिंह अपने सहयोगियों व मुस्लिम परिवार के लोगों के साथ दोनों को खोजने में लगे थे. अगले ही दिन जब प्रधानपति समेत गांव के लोग यूसुफ़ को खोजने बाहर गए हुए थे, तभी हिंदू युवा वाहिनी के कुछ सदस्य गांव में आए और मुसलमान परिवारों को धमकी देकर गए थे.

ग़ुलाम अहमद के घर पर बैठे अरुण प्रताप सिंह के भाई प्रदीप कुमार ने कहा, ‘हम सब लोग मिलकर खोज रहे थे. उस लड़के ने ग़लत किया, लेकिन उनका परिवार यह कभी नहीं चाहता था. जिस दिन से दोनों ग़ायब हुए, हम सभी मिलकर उनको खोज रहे थे. परिवार लगातार पुलिस से संपर्क में था. लड़के के भाई ने पुलिस में शिकायत भी की थी. लेकिन बाहरी लोगों ने आकर माहौल ख़राब कर दिया.’

ग़ुलाम अहमद भागे हुए युवक यूसुफ़ के पड़ोसी थे. दो मई को वे गांव के ही अनिल शर्मा के बाग़ में रखवाली कर रहे थे. ग़ुलाम अहमद ने 14 बीघे का यह बाग़ अनिल शर्मा से पट्टे पर लिया था. उनके बेटे वकील ने बताया, ‘हम सब लोग थाने गए थे. हमने पुलिस को बोला कि साहेब आप मदद कीजिए. हम नहीं खोज पा रहे. आप कुछ मदद करें कि दोनों कहां हो सकते हैं. हम उनको पकड़कर आपके हवाले कर देंगे.’

वकील अहमद का कहना है, ‘पापा का इस मामले से कोई लेना देना नहीं था. वह लड़का, लड़की के साथ भाग गया. इसमें उसका परिवार भी उसके साथ नहीं है. उन लोगों ने हिंदू-मुस्लिम करने के लिए उनको मार डाला.

‘उस दिन पांच छह मोटरसाइकिल पर सवार भगवा गमछा बांधे छह सात लोग घर आए और घर की औरतों से पूछा कि लड़का लड़की कहां हैं? औरतों ने कहा, ‘घर पर कोई नहीं है. सब लोग बाहर हैं. कोई दोनों को ढूंढने गया है, कोई थाने गया है. सब लोग बाहर हैं.’

वकील व अन्य पड़ोसियों के मुताबिक, इसके बाद वे लोग घर से चले गए और सीधे बाग़ में पहुंचे. ग़ुलाम अहमद आम के बाग़ में चारपाई पर बैठे थे. लड़के जबरन उन्हें बाग़ से कुछ दूर ले गए और वहां पर बहुत मारा. और छोड़कर चले गए. इसके बाद पापा ने बाग़ के मालिक अनिल शर्मा को फ़ोन किया कि जल्दी आ जाइए. अनिल शर्मा ने ही फोन करके गुलाम के बेटे को सूचना दी.

वे बुरी तरह घायल थे. अनिल शर्मा के मुताबिक, ‘मैं उनको मोटरसाइकिल से अपने बागीचे में लेकर आया. फिर उन्हें चारपाई पर लिटाकर पानी पिलाया. उन्हें बहुत चोट लगी थी.’ ग़ुलाम को यहां से अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई. वकील का कहना है, ‘उनके सीने में किसी डंडे या रॉड से मारा था, जिसका निशान पड़ा था. सीने में मारने से ही मौत हुई होगी. जब तक मैं पहुंचा तब तक उनकी मौत हो चुकी थी. वे कुछ बोल भी नहीं पाए. हो सकता है कि अनिल शर्मा से फोन पर या सामने से कुछ कहा हो.’

घटनास्थल पर कोई चश्मदीद नहीं था. फिर कैसे पता चला मारने वाले लोग कौन थे. इस सवाल पर वकील अहमद का कहना है, ‘मारने के पहले वो लोग घर पर आए थे. दोनों के भागने के बाद हिंदू युवा वाहिनी के लोग कई दिनों से धमकी दे रहे थे. इन लोगों की यहां मीटिंग होती है. ये लोग हिंदू युवा वाहिनी के नाम पर धमकी भी दे रहे थे कि हम कुछ भी कर सकते हैं. हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता.’

वकील अहमद का कहना है कि वे लोग कई बार धमकी देकर गए थे कि ‘लड़की खोजकर दो. अगर लड़की नहीं मिली तो तुम लोगों को ख़त्म कर देंगे. उनमें से एक लड़का गवेंद्र है, जिसे हम पहचानते हैं. वे लोग भगवा गमछा बांध कर आते थे.’

वकील अहमद ने हिंदू युवा वाहिनी से जुड़े गवेंद्र का नाम पुलिस को बताते हुए बाक़ी अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ तहरीर दी थी, जिसके आधार पर पुलिस आसपास के गांवों से कई लड़कों को उठाया. अंतत: तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया.

लड़का और लड़की को पुलिस ने हरियाणा से बरामद कर लिया और उन्हें कोर्ट में पेश किया गया. जो लड़के गिरफ़्तार हुए हैं, उनके बारे में हिंदू युवा वाहिनी के जिलाध्यक्ष सुनील राघव का कहना है कि वे वाहिनी से जुड़े हैं, लेकिन वे निर्दोष हैं. उनके कार्यकर्ताओं का हत्या से कुछ लेना-देना नहीं है. कुछ लोग भगवा लेकर संगठन को बदनाम कर रहे हैं.’

सोही गांव की आबादी क़रीब पांच हज़ार है. गांव के बीच में सिर्फ़ चार घर मुसलमानों के हैं. बरामदे में बैठे एक हिंदू बुजुर्ग ने कहा, ‘ये लोग यहां पर पीढ़ियों से हैं. गांव में कभी तनाव नहीं हुआ. यहां सब लोग बहुत मिलजुल कर रहते हैं. हम सब एक-दूसरे के यहां आते-जाते हैं. आपस में बहुत प्यार है. ये लोग ग़रीब हैं. मज़दूरी करके पेट पालते हैं. जिन लोगों यह किया है, बहुत ग़लत किया.’

ग़ुलाम अहमद के दूसरे बेटे शकील ने बताया, ‘हमारा इससे कोई लेना देना नहीं था. हमारे वालिद को सिर्फ़ इसलिए मारा कि हम मुसलमान हैं और जो लड़का भागा है, वह भी मुसलमान था. हमारे गांव के लोग ऐसा कभी नहीं कर सकते. यह हिंदू युवा वाहिनी के लोगों ने किया है. वे ख़तरनाक लोग हैं.’

संकरी गली में पहुंच कर आंगन से लगे छोटे बरामदे में ग़ुलाम अहमद की पत्नी औरतों से घिरी बैठी हैं. उनमें ज़्यादातर औरतें हिंदू परिवारों से हैं. उन औरतों से मिल रहीं सांत्वनाएं भी उनके आंसू नहीं रोक पा रहीं. उनपर किसी की सांत्वना का कोई असर नहीं हो रहा है. वे कभी तेज़ कभी धीमी आवाज़ में बड़बड़ाते हुए बस रोती जाती हैं.

ग़ुलाम अहमद के परिजनों से पूछताछ करते एसएचओ सुधीर कुमार. (फोटो: कृष्णकांत)
ग़ुलाम अहमद के परिजनों से पूछताछ करते एसएचओ सुधीर कुमार. (फोटो: कृष्णकांत)

ग़ुलाम के परिवार में चार बेटे, एक बेटी और पत्नी हैं. बेटी शादीशुदा है. चारों बेटों में यासीम, शकील और सलमान मज़दूरी का काम करते हैं, जबकि वकील बढ़ई का काम करता है. यह परिवार भूमिहीन है. गुलाम अहमद हिंदू परिवारों की ज़मीन बटाई पर उठाकर खेती करते थे. उनके बेटे भी इसमें उनकी मदद करते थे.

ग़ुलाम अहमद की मौत के दूसरे दिन मीडिया की कुछ ख़बरों में कहा गया था कि ग़ुलाम का परिवार डर गया है और वह सोही गांव से पलायन करना चाहता है. हालांकि, गांव के हिंदुओं ने इससे इनकार किया. रमेश पाल सिंह कहते हैं, ‘कोई कहीं नहीं जा रहा है. हम सब साथ हैं. जो हो गया वो हो गया, लेकिन पलायन का सवाल ही नहीं उठता.’

हालांकि, ग़ुलाम के बेटे वकील का कहना है, ‘हम बहुत डर गए हैं. हमारे गांव के लोग साथ हैं, लेकिन हिंदू युवा वाहिनी के लोग तो सब गांव में हैं. हम मज़दूरी करने बाहर जाते हैं. हमारा बढ़ई का काम है. हम हर गांव में जाते हैं. क्या मैं हर जगह अपने गांव वालों को ले जाऊंगा? अगर वे मारना चाहेंगे तो हमें कभी भी मार सकते हैं. हम ऐसी जगह चले जाएंगे, जहां हमें कोई नहीं जानता हो.’

पलायन की ख़बर पर पुलिस इंटेलीजेंस की स्पेशल ब्रांच में काम करने वाले गिरीश कुमार परिवार का ब्यौरा लेने आए थे. उन्होंने बताया, ‘जो हुआ वह गांव वालों की जानकारी में नहीं हुआ. वे लोग बाहरी थे. हिंदू युवा वाहिनी के थे या नहीं, यह भी नहीं पता. क्योंकि हिंदू युवा वाहिनी का ब्लॉक लेवल पर गठन ही नहीं हुआ है. यहां उनका नामोनिशान नहीं है. योगी जी के सीएम बनने के बाद ही थोड़ा सक्रियता बढ़ी है.’

पूर्व मुनीम रमेश पाल सिंह कहते हैं, ‘हिंदू युवा वाहिनी पूर्वी उत्तर प्रदेश का संगठन है. योगी जी के सीएम बनने के बाद यहां थोड़ी बहुत चर्चा में आई है. अब ये कौन लोग थे, पुलिस जाने. लेकिन जो भी थे, उन्होंने गांव का माहौल ख़राब किया.

हालांकि, वाहिनी के जिलाध्यक्ष सुनील राघव के पीएसए मनीष ने फोन पर आधिकारिक तौर पर कहा, ‘हिंदू युवा वाहिनी यहां पर काफ़ी समय से सक्रिय है. सक्रियता के कारण ही तो संगठन का नाम लिया गया है. ये बच्चे हिंदू युवा वाहिनी के हैं और बिल्कुल निर्दोष हैं. इस घटना को विपक्षी पार्टियों द्वारा जानबूझ कर अंजाम दिया गया है. उन्होंने पहले से ही मन बना रखा था. असामाजिक तत्व और विरोधी लोगों ने मिलकर संगठन को बदनाम करने के लिए ऐसा किया है.’

ग़ुलाम अहमद के पड़ोसियों से पूछताछ करते पुलिस अधिकारी. (फोटो: कृष्णकांत)
ग़ुलाम अहमद के पड़ोसियों से पूछताछ करते पुलिस अधिकारी. (फोटो: कृष्णकांत)

ग़ुलाम अहमद के बेटे वकील की शिकायत पर पुलिस ने इस मामले में नौ लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की है. स्थानीय मीडिया की मानें तो सभी आरोपी हिंदू युवा वाहिनी से जुड़े हैं. तीन मई तक पुलिस ने तीन युवकों को गिरफ़्तार किया जिसमें हनी राघव, पुलकित शर्मा और ललित शर्मा शामिल हैं. अभी तक मात्र तीन लोगों की गिरफ़्तारी पर ज़िलाधिकारी रोशन जैकब ने नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए प्रशासन को लताड़ लगाई है. मुख्य आरोपी अभी तक फरार है.

एसएसपी मुनिराज जी ने कहा, ‘तीन लोग गिरफ़्तार किए हैं. बाक़ी भी कुछ लोगों का नाम आ रहा है. लेकिन अभी हम नाम नहीं बता सकते. वरना वे फ़रार हो जाएंगे फिर उनका मिलना और भी मुश्किल हो जाएगा. आगे की जो भी कार्रवाई होगी, उसके बारे में बताया जाएगा.’

एसएसपी ने 4 मई को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, ‘दो मई को सोही निवासी गवेंद्र अपने साथ हिंदू युवा वाहिनी के 5-6 कार्यकर्ताओं के साथ यूसुफ़ के घर पहुंचा. घर पर किसी के न मिलने पर सभी आम के बाग़ में पहुंचे और यूसुफ़ के पड़ोसी ग़ुलाम अहमद की पीट पीटकर हत्या कर दी.

हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं की संलिप्तता के बारे में एसएसपी मुनिराज जी का कहना था कि ‘अपराधी किसी भी दल से जुड़ा हो, क़ानून की नज़र में अपराधी होता है.’

मुख्य आरोपी गवेंद्र फ़िलहाल फरार चल रहा है. लड़का और लड़की को पुलिस ने पलवल से गिरफ़्तार करके कोर्ट में पेश किया. लड़की के बयान के बाद लड़के को जेल भेज दिया गया है और लड़की को उसके परिजनों को सौंप दिया गया है. हिंदू युवा वाहिनी के जिलाध्यक्ष सुनील राघव के मुताबिक, जो लड़के गिरफ़्तार हुए हैं वे हिंदू युवा वाहिनी से जुड़े हैं, लेकिन वे हत्या में शामिल नहीं हैं.

लड़की के बयान के बाद मामले में एक नाटकीय मोड़ आ गया है. यूसुफ़ के भाई यूनुस का कहना था कि ‘यूसुफ़ जब सऊदी अरब में था तब भी उस लड़की से संपर्क में था. वह उसके अकाउंट में पैसे भी डलवाता था. दोनों संपर्क में थे और यूसुफ़ के यहां आने के बाद दोनों भाग गए. जबकि बरामदगी के बाद लड़की के बयान में कुछ और ही कहानी सामने आ रही है.

जबकि, युवती ने पुलिस को बताया है कि यूसुफ़ ने नाम बदल कर उससे दोस्ती की थी. उसने अपना नाम विजय बताया था. वह भागी नहीं थी, बल्कि वह उसे घूमने के बहाने ले गया था. रास्ते में उसे बंधक बना लिया. वह उसे गभाना, अलीगढ़, पलवल और इलाहाबाद ले गया. होटल में उसके साथ रेप किया. मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज होने के बाद पुलिस ने यूसुफ़ के ख़िलाफ़ अपहरण और रेप की धाराओं में केस दर्ज कर लिया है.

गांव के हिंदुओं और चारों मुसलमान परिवारों से बात करने के बाद इस बात को लेकर मुतमईन हुआ जा सकता है कि वे किसी तरह का बवाल नहीं चाहते. वे शांति से साथ रहने की बात पर क़ायम हैं और एक सुर में लड़की भगाने और बुजुर्ग को पीटकर मारने की निंदा कर रहे हैं.

एक गांव जो पीढ़ियों से सुख शांति से रह रहा था, जहां पर एक युवक युवती के गायब होने का मसला पुलिस सुलझाने में लगी थी, वहां पर हाल में उभर रही ‘भीड़ के न्याय’ की प्रवृत्ति ने अपना रंग दिखाया. न सिर्फ़ एक बुजुर्ग की जान ली, बल्कि इलाक़े में संवेदनशील स्थिति उत्पन्न की.

मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने क़ानून व्यवस्था में किसी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त न करने की बात की थी. उन्हें ग़ुलाम अहमद के बेटे की विनम्र अपील ज़रूर सुननी चाहिए.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games