कोर्ट ने दिल्ली में रविदास मंदिर निर्माण के लिए सभी पक्षकारों से सर्वमान्य हल निकालने को कहा

कोर्ट के निर्देश पर दिल्ली विकास प्राधिकरण ने तुग़लक़ाबाद स्थित रविदास मंदिर को ध्वस्त कर दिया था. कोर्ट ने पक्षकारों से कहा, आप ऐसा समाधान निकालें जो सबके लिए ठीक हो. हम सभी की भावनाओं का सम्मान करते हैं लेकिन क़ानून का पालन तो करना ही होगा.

(फोटो: पीटीआई)

कोर्ट के निर्देश पर दिल्ली विकास प्राधिकरण ने तुग़लक़ाबाद स्थित रविदास मंदिर को ध्वस्त कर दिया था. कोर्ट ने पक्षकारों से कहा, आप ऐसा समाधान निकालें जो सबके लिए ठीक हो. हम सभी की भावनाओं का सम्मान करते हैं लेकिन क़ानून का पालन तो करना ही होगा.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के तुगलकाबाद वन क्षेत्र में गुरु रविदास के मंदिर के पुनर्निर्माण को लेकर संबंधित पक्षकारों से शुक्रवार को कहा कि वे मंदिर के लिए बेहतर जगह के लिए सर्वमान्य समाधान के साथ आएं.

जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एस. रवीन्द्र भट्ट की पीठ ने कहा कि वह सभी की भावनाओं का सम्मान करती है लेकिन कानून का पालन तो करना ही होगा.

पीठ ने इस प्रकरण से जुड़े पक्षकारों से कहा कि वे वैकल्पिक स्थान के बारे में ऐसा समाधान निकालें जो सभी के लिए ठीक हो. कोर्ट ने इस मामले को 18 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध किया है.

मालूम हो कि कोर्ट के निर्देश पर दिल्ली विकास प्राधिकरण ने इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया था.

पीठ ने कहा कि अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल भी इस मामले में पेश हो रहे हैं और सभी पक्षकारों को बेहतर स्थान के बारे में सर्वमान्य समाधान खोजने के लिए विचार विमर्श करना चाहिए ताकि वहां पर मंदिर का निर्माण हो सके.

इससे पहले, न्यायालय ने सवाल किया था कि उसके आदेश पर गिराए गए मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए संविधान के अनुच्छद 32 के तहत दायर याचिका पर कैसे विचार किया जा सकता है.

यह याचिका दो पूर्व सांसदों-अशोक तंवर और प्रदीप जैन आदित्य- ने 27 अगस्त को दायर की थी. याचिका में उन्होंने अपने पूजा के अधिकार को लागू करने की अनुमति मांगी है.

इनका आरोप है कि तुगलकाबाद में मंदिर और समाधि स्थल गिराए जाने के कारण उन्हें इस अधिकार से वंचित किया जा रहा है. दोनों पूर्व सांसदों ने कहा था कि आस-पास के इलाके से अतिक्रमण हटाने के मामले में शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान अनेक तथ्य छुपाए गए थे.

इसके साथ ही पूर्व सांसदों ने मंदिर के पुनर्निर्माण की अनुमति मांगते हुए कहा था कि वह एक पवित्र स्थान है और वहां 500-600 सालों से पूजा अर्चना हो रही थी.

दिल्ली विकास प्राधिकरण ने शीर्ष अदालत के आदेश पर इस मंदिर को गिराया था. न्यायालय ने नौ अगस्त को टिप्पणी की थी कि गुरु रविदास जयंती समारोह समिति द्वारा पहले के आदेश के अनुरूप वन क्षेत्र खाली नहीं करके गंभीर उल्लंघन किया गया है.

मंदिर गिराए जाने की घटना के बाद दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में गुरु रविदास के अनुयायियों ने अनेक स्थानों पर प्रदर्शन किए थे.

न्यायालय ने 19 अगस्त को इन इलाकों में प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक या किसी अन्य वजह से कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न नहीं हो.

न्यायालय ने आगाह किया था कि विरोध प्रदर्शन करने वाले लोग मंदिर गिराए जाने के मुद्दे को राजनीतिक रंग नहीं दें.

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