योगी आदित्यनाथ की रैली में नज़र आए अख़लाक़ को पीट-पीट कर मार डालने के आरोपी

रैली में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कौन नहीं जानता बिसहड़ा में क्या हुआ? सबको पता है. कितने शर्म की बात है कि समाजवादी सरकार ने तब भावनाओं को दबाने की कोशिश की और मैं कह सकता हूं कि हमारी सरकार बनते ही हमने अवैध बूचड़खानों को बंद कराया.

चौरासी के दंगों पर दिल्ली हाईकोर्ट का फ़ैसला महान भारत के नागरिकों की निर्ममता के ख़िलाफ़ आया है

2002 की बात को कमज़ोर करने के लिए 1984 की बात का ज़िक्र होता है, अब 1984 की बात चली है तो अदालत ने 2013 तक के मुज़फ़्फ़रनगर के दंगों तक का ज़िक्र कर दिया है.

अख़लाक़ हत्याकांड: परिजनों को मामला वापस लेने के लिए धमकी दे रहे हैं आरोपी

दादरी में गोमांस रखने के शक़ में मारे गए अख़लाक़ के भाई ने कहा कि ज़मानत पर बाहर आए दो आरोपी उन पर मामला वापस लेने का दबाव बना रहे हैं.

क्या पुलिस ने अख़लाक़ हत्याकांड मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है?

दादरी में पीट-पीटकर मार दिए गए अख़लाक़ के भाई का कहना है कि उनके परिवार पर लगे गोहत्या के आरोप के बाद पुलिस ने अब तक किसी परिजन का बयान तक नहीं लिया है.

अगर ये भीड़ दादरी में ही दफ़न कर दी जाती तो इसकी आंच बंगाल तक कभी नहीं आती

जिस पैगम्बर के व्यवहार ने उनपर रोज़ कूड़ा फेंकने वाली औरत को बदलने पर मजबूर कर दिया, उन्हीं के कुछ अनुयायी एक फेसबुक पोस्ट मात्र पर हिंसक हो जाते हैं.

गांव वही था, लोग भी वही थे, मगर ईद वह नहीं थी

अपने हिंदू दोस्तों को ईद की दावत दी. सबने चिकन-मटन खाने से मना कर दिया. ये वही दोस्त थे जो इसके पहले सिर्फ़ इस शर्त पर आते थे कि चिकन-मटन खाने को मिलेगा.

दूसरे देशों की घटनाओं पर ट्वीट करने वाले पीएम पीट-पीटकर हो रही हत्याओं पर मौन क्यों हैं?

ऊपर से शांत दिखने वाली भीड़ का हिंसक बन जाना अब हमारे वक्त़ की पहचान बन रहा है. विडंबना यही है कि ऐसी घटनाएं इस क़दर आम हो चली हैं कि किसी को कोई हैरानी नहीं होती.

गोरक्षा के लिए राष्ट्रीय कानून बनाने की भागवत की मांग डरावनी है

उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत की व्याख्या आरएसएस ने गोरक्षा और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण जैसे अपने पुराने वैचारिक मुद्दों को उठाने के लिए मिली हरी झंडी के तौर पर की है.