1987 के मेरठ दंगों ने बाबरी विवाद की पृष्ठभूमि तैयार कर दी थी

प्रासंगिक: यह वास्तव में एक त्रासदी है कि जिन लोगों के पास यह सुनिश्चित करने की क्षमता थी कि भारत सांप्रदायिकता के बवंडर में न फंस जाए, उनमें से कोई भी मेरठ हिंसा के असली रूप को पहचान नहीं पाया.

बाबरी विध्वंस के 25 साल, न्याय की कछुआ चाल

बाबरी विध्वंस मामले में गवाह वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान बता रहे हैं ​कि कैसे टालमटोल, सुस्ती और न्याय तंत्र की उदासीनता के चलते यह केस 25 सालों से लटका हुआ है.

जन की बात: बाबरी मस्जिद विवाद और हैप्पीनेस इंडेक्स में भारत, एपिसोड 21

जन की बात की 21वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद को दोनों पक्षों के आपस में सुलझा लेने पर की गई सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और हैपीनेस इंडेक्स में भारत की स्थिति पर चर्चा कर रहे हैं.

‘अयोध्या में मंदिर-मस्जिद से बड़ी बात आपस में अमन-चैन है’

हाशिम अंसारी राम जन्मभूमि विवाद से जुड़े सबसे पुराने पक्षकार थे. पिछले साल जुलाई में उनका देहांत हो गया. अपनी मौत के तीन महीने पहले इस पत्रकार से उन्होंने कहा था, ‘अयोध्या में रहने वाले लोग इस मसले से ऊब चुके हैं और इसका समाधान चाहते हैं लेकिन कुछ बड़े लोगों का इसमें राजनीतिक स्वार्थ है जो नहीं चाहते हैं कि मामला हल हो.’

अयोध्या से ‘राम’ और ‘बाबरी’ को हटा दें तो उसके पास क्या बचता है?

अयोध्या से बाहर इसकी पहचान राम जन्मभूमि और बाबरी मस्ज़िद विवाद से ही होती है. लेकिन अयोध्या के पास इन दोनों के इतर और भी बहुत कुछ है कहने को.