बिहारः शैक्षणिक संस्थान बंद कराने के आदेश के ख़िलाफ़ छात्रों ने जमकर किया उपद्रव

बिहार के रोहतास ज़िले के सासाराम का मामला. सरकार ने राज्य में कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर शैक्षणिक संस्थानों को बंद कराने के आदेश दिए थे. इसके विरोध में छात्रों ने सार्वजनिक संपत्ति नष्ट की, अधिकारियों पर पथराव किया और कलक्ट्रेट गेट में आग लगा दी. छात्रों और शैक्षणिक संस्थानों का कहना है कि सरकार जब मॉल और सिनेमा हॉल नहीं बंद करा रही है तो केवल कोचिंग ही क्‍यों बंद कराया जा रहा है.

सरकार ने वैश्विक ऑनलाइन सेमिनारों के लिए विवादित नियम को वापस लिया

बीते 15 जनवरी को जारी आदेश में सार्वजनिक रूप से पोषित शैक्षणिक संस्थानों और यूनिवर्सिटी सहित सभी सरकारी इकाइयों से किसी भी तरह के ऑनलाइन एवं वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस या सेमिनार का आयोजन करने के लिए संबंधित प्रशासनिक सचिव से मंज़ूरी लेने को कहा गया है.

विज्ञान संस्थानों ने कहा- नए वेबिनार नियमों से वैज्ञानिक चर्चाएं रुक सकती हैं

सार्वजनिक रूप से पोषित शैक्षणिक संस्थानों से किसी भी तरह के ऑनलाइन एवं वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस या सेमिनार का आयोजन करने के लिए संबंधित प्रशासनिक सचिव से मंज़ूरी लेने को कहा गया है. द इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेस और द इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस की ओर से कहा गया है कि नए नियमों से युवा पीढ़ी के लिए शैक्षिक अवसरों की वृद्धि और विज्ञान में रुचि बाधित होगी.

रोहित वेमुला, पायल तड़वी की माताओं की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजा

2016 में हैदराबाद विश्वविद्यालय के शोधार्थी रोहित वेमुला और इस साल मई में मुंबई के एक अस्पताल में कार्यरत डॉ. पायल तड़वी ने कथित तौर पर जातिगत भेदभाव के चलते आत्महत्या कर ली थी. दोनों की माताओं ने शीर्ष अदालत से विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में ऐसे भेदभाव को ख़त्म किए जाने का अनुरोध किया है.

संस्थानों में जातिगत भेदभाव के ख़िलाफ़ अदालत पहुंचीं रोहित वेमुला-पायल तड़वी की मांएं

कथित तौर पर जातिगत भेदभाव को ज़िम्मेदार बताते हुए हैदराबाद विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे रोहित वेमुला ने साल 2016 में और इस साल मई में मुंबई के एक अस्पताल में कार्यरत डॉ. पायल तड़वी ने आत्महत्या कर ली थी.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय: जो धार्मिक पाठ ही नहीं है, उसको लेकर हंगामा है क्यों बरपा…

एएमयू को एक लड़की की गुस्ताख़ी पसंद नहीं आई, इसलिए एक ऐसा नारा जो इस्लामिक भी नहीं है उस पर हायतौबा मची है. ये देखना भी कम दिलचस्प नहीं है कि यूनिवर्सिटी किसी ज़िम्मेदार शैक्षणिक संस्थान की तरह व्यवहार करने की बजाय फ़तवे की किताब खोलकर बैठ गई है.