भोजपुरी फिल्म फेस्टिवल : अपने ही जाल में उलझा भोजपुरी सिनेमा बदलते दौर के भौतिक चमक-दमक को तो भोजपुरी सिनेमा खूब दिखाता है, पर सामाजिक -सांस्कृतिक मूल्यों की जड़ता से नहीं भिड़ता. वह एक बड़े विभ्रम का शिकार है. 08/02/2017