हाशिम अंसारी के बेटे ने कहा, अयोध्या के लोगों को सुकून से रहने दें

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में पक्षकार रहे हाशिम अंसारी के बेटे इक़बाल अंसारी ने अयोध्या में धर्म सभा के नाम पर भीड़ जुटाने की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि इन लोगों को विधान भवन या संसद का घेराव करना चाहिए और अयोध्या के लोगों को सुकून से रहने देना चाहिए.

अयोध्या: मीडिया 1992 की तरह एक बार फिर सांप्रदायिकता की आग में घी डाल रहा है

अयोध्या में 1990-92 में प्रिंट मीडिया का प्रभुत्व था, अब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने उसे पीछे धकेलकर सांप्रदायिक पत्रकारिता का परचम उससे छीन लिया है और ख़ुद को राम मंदिर आंदोलन का अघोषित प्रवक्ता बना लिया है.

हिंदू संगठनों ने कोर्ट से कहा, राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद शुद्ध रूप से संपत्ति विवाद

उच्चतम न्यायालय में हिंदू संगठनों तर्क दिया कि मामले की सुनवाई के लिए इस वृहद पीठ को नहीं सौंपा जाना चाहिए. मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होगी.

शंभूलाल जैसे मानव बम राजनीति और मीडिया ने ही पैदा किए हैं

बीसियों साल से जिस तरह की विभाजनकारी राजनीति हो रही है, मीडिया के सहयोग से जिस तरह समाज में ज़हर बोया जा रहा है, उसकी फसल अब लहलहाने लगी है.

विकास के कथित पुजारी आख़िर में मंदिर राग क्यों गाने लगे?

लोकसभा चुनाव में पूरे देश में गुजरात मॉडल बेचा गया था, लेकिन गुजरात में अस्मिता, क्षेत्रीयता और अंतत: मंदिर मुद्दा बनता दिख रहा है. क्या विकास एक चुनावी झांसा है?

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित ज़मीन के लिए दो पर्यवेक्षक नियुक्त करने को कहा

उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से 10 दिन के अंदर नियुक्तियां करने का आदेश दिया.

अयोध्या में विवादित ढांचे से उचित दूरी पर बनाई जा सकती है मस्जिद: शिया बोर्ड

बाबरी विध्वंस मामले में शिया वक़्फ़ बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दाख़िल कर कहा है कि बाबरी मस्जिद स्थल उनकी संपत्ति है.

1987 के मेरठ दंगों ने बाबरी विवाद की पृष्ठभूमि तैयार कर दी थी

प्रासंगिक: यह वास्तव में एक त्रासदी है कि जिन लोगों के पास यह सुनिश्चित करने की क्षमता थी कि भारत सांप्रदायिकता के बवंडर में न फंस जाए, उनमें से कोई भी मेरठ हिंसा के असली रूप को पहचान नहीं पाया.

बाबरी विध्वंस के 25 साल, न्याय की कछुआ चाल

बाबरी विध्वंस मामले में गवाह वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान बता रहे हैं ​कि कैसे टालमटोल, सुस्ती और न्याय तंत्र की उदासीनता के चलते यह केस 25 सालों से लटका हुआ है.