कहा जाता है कि बंगाल में वाम मोर्चे के लंबे शासन ने किसी ऐसे मंच को उभरने नहीं दिया, जिसका इस्तेमाल सांप्रदायिक शक्तियां राजनीतिक फायदे के लिए कर सकती थीं. लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि ज़मीन पर हिंदू-मुस्लिम तनाव नहीं था. राज्य के मौजूदा सियासी मिज़ाज को उसी दबे हुए तनाव के अचानक फूट पड़ने के तौर पर देखा जा सकता है.
राज्य में भाजपा के सहयोगी आईपीएफटी के प्रमुख एनसी देबबर्मा ने आशंका जताते हुए कहा कि ऐसा लग रहा है कि बड़ा घटक दल होने के कारण भाजपा महत्वपूर्ण विभाग हमारे विधायकों को नहीं देगी.
दक्षिण त्रिपुरा के बेलोनिया शहर में लगी थी लेनिन की मूर्ति. भाजपा कार्यकर्ताओं पर प्रतिमा ढहाने का आरोप. इस दौरान भारत माता की जय के नारे भी लगाए गए.
आईपीएफटी प्रमुख ने कहा बिना आदिवासियों के समर्थन के भाजपा को बहुमत मिलना मुमकिन नहीं था, इसलिए सदन का नेता आदिवासी होना चाहिए.