क्यों विशेष होती है 29 फरवरी

सर्वथा खगोलीय कारणों से किए गए लीप ईयर के निर्धारण से विभिन्न देशों में समय के साथ अनेक रोचक सामाजिक व सांस्कृतिक मान्यताएं भी जुड़ीं. कहीं लीप ईयर को उल्लास का अवसर मानकर उसकी ख़ुशी मनाने के लिए सार्वजनिक छुट्टी की मांग की जाती है तो कहीं इसे अशुभ क़रार दिया जाता है.

भारत रत्न: चुनावी दुरुपयोग ने ख़िताब की प्रतिष्ठा को इसके न्यूनतम स्तर पर पहुंचा दिया है

अपने वक़्त में कर्पूरी ठाकुर और चौधरी चरण सिंह जैसे नेता सामाजिक समानता की जिस लड़ाई में मुब्तिला थे, उसमें उनके लिए निजी मान-अपमान या विभूषणों का कोई प्रश्न कहीं था ही नहीं. चरण सिंह जब उपप्रधानमंत्री थे, तब सरकार ने न सिर्फ भारत रत्न, बल्कि सारे पद्म पुरस्कारों को 'अवांछनीय' क़रार देकर बंद कर दिया था.

इंदिरा गांधी नरेंद्र मोदी जितनी ‘भाग्यशाली’ होतीं, तो उन्हें इमरजेंसी की ज़रूरत नहीं पड़ती!

इंदिरा गांधी यदि नरेंद्र मोदी की तरह बिना आपातकाल वैसे हालात पैदाकर लोकतांत्रिक व संवैधानिक संस्थाओं के क्षरण को अंजाम दे सकतीं, तो भला आपातकाल का ऐलान क्यों करातीं?

‘यह गांधी कौन था?’ ‘वही, जिसे गोडसे ने मारा था’

गांधी को लिखे पत्र में हरिशंकर परसाई कहते हैं, 'गोडसे की जय-जयकार होगी, तब यह तो बताना ही पड़ेगा कि उसने कौन-सा महान कर्म किया था. बताया जाएगा कि उस वीर ने गांधी को मार डाला था. तो आप गोडसे के बहाने याद किए जाएंगे. अभी तक गोडसे को आपके बहाने याद किया जाता था. एक महान पुरुष के हाथों मरने का कितना फायदा मिलेगा आपको.'

आपातकाल के स्याह दिन बनाम अच्छे दिन

जनतंत्र को अपने ठेंगे पर रखे घूम रहे लठैतों के इस दौर में 46 साल पहले के आपातकाल के 633 दिनों पर खूब हायतौबा मचाइए, मगर पिछले 2,555 दिनों से भारतमाता की छाती पर चलाई जा रही अघोषित आपातकाल की चक्की के पाटों को नज़रअंदाज़ मत करिए.

जब दिलीप कुमार ने नेहरू के रक्षा मंत्री को हारता हुआ चुनाव जिताया

चुनावी बातें: 1980 के चुनाव में वामपंथियों के नारे- 'चलेगा मजदूर उड़ेगी धूल, न बचेगा हाथ, न रहेगा फूल' के जवाब में कांग्रेस ने ‘न जात पर, न पात पर, इंदिरा जी की बात पर, मुहर लगेगी हाथ पर’ का नारा दिया था.

आपातकाल के 42 सालों के बाद एक बार फिर भारत का लोकतंत्र ख़तरे में है

‘एक ऐसी सरकार जो ‘सबका विकास’ के वादे पर सत्ता में आई थी, अब समाज के सबसे कमज़ोर लोगों को सुरक्षा देने को लेकर अनिच्छुक नज़र आ रही है.’