पुस्तक समीक्षा: विश्लेषकों की निगाह में भारत अधिनायकवाद के स्याह गर्त में जाता दिख रहा है और विभाजक राजनीति के लगातार वैधता हासिल करने को लेकर चिंता की लकीरें बढ़ रही हैं. प्रख्यात शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता राम पुनियानी की नई किताब इस बहस में एक नया आयाम जोड़ती है.
वीडियो: इतिहास की गलत तरीके से व्याख्या करने के मुद्दे पर शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता राम पुनियानी से दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद की बातचीत.
प्रख्यात शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता राम पुनियानी ने बताया कि शनिवार 9 मार्च को ख़ुद को सीआईडी से बताने वाले तीन लोग उनके घर आए और पासपोर्ट आवेदन के बहाने परिवार से जुड़ी जानकारियां मांगी. महाराष्ट्र सीआईडी ने कहा, नहीं की किसी तरह की छानबीन.
यह निबंध-संग्रह 'एक राष्ट्र, एक जन, एक संस्कृति’ के स्वनामधन्य पैरोकारों की असली-नकली अवधारणाओं और कुतर्कों की बिना पर रचे जा रहे तिलिस्म को वैज्ञानिक चिंतन प्रक्रिया की कसौटी पर कसकर न सिर्फ बेपरदा बल्कि पूरी तरह ख़ारिज भी करता है.