हमारे ‘महान’ खिलाड़ी मुश्किल समय में जनता के साथ क्यों नहीं खड़े होते?

हमारे महान खिलाड़ियों को जनता सिर-आंखों पर बैठाती है, मगर जनता पर जब ऐसी कोई त्रासदी बरपा करती है- जिसके लिए सरकार या समाज का एक वर्ग ज़िम्मेदार हो तो वे ऐसे विलुप्त हो जाते हैं, गोया इस दुनिया में रहते न हों.

बैंक क़र्ज़ की हेराफेरी के मामले मे ‘न्यू इंडिया’ में कुछ नहीं बदला

चाहे हीरा-व्यापार का मामला हो या बुनियादी ढांचे की कुछ बड़ी परियोजनाएं, काम करने का तरीका एक ही रहता है- परियोजना की लागत को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना और बैंकों व करदाताओं का ज़्यादा से ज़्यादा पैसा ऐंठना.

आर्थिक सुधारों के बाद से उद्योग घरानों ने ही बैंकों को लूटा है

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को आर्थिक संकट में उद्योगपतियों ने ही डाला है और कमाल की बात यह है कि निजीकरण के तहत इन बैंकों को एक तरह से उनके ही क़ब्ज़े में देने की बातें हो रही हैं.

सब कुछ बदलने का वादा करके आए मोदी ने भ्रष्ट आर्थिक नीतियों को ही आगे बढ़ाया

आज जब दुनिया में नाना प्रकार के खोट उजागर होने के बाद भूमंडलीकरण की ख़राब ​नीतियों पर पुनर्विचार किया जा रहा है, हमारे यहां उन्हीं को गले लगाए रखकर सौ-सौ जूते खाने और तमाशा देखने पर ज़ोर है.

प्रधानमंत्री जी, आम लोगों की मेहनत की कमाई से कॉरपोरेट लूट की भरपाई कब तक होती रहेगी?

पिछली सरकारों में व्यवस्था को अपने फ़ायदे के लिए तोड़ने-मरोड़ने वाले पूंजीपति मोदी सरकार में भी फल-फूल रहे हैं.

यूपीए सरकार के दौरान नहीं हुआ था राफेल क़रार: रक्षा मंत्रालय सूत्र

पूर्व रक्षा मंत्री एके अंटोनी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार को राफेल डील का खुलासा जनता के सामने करना चाहिए, ताकि जनता के सवाल का जवाब मिल सके.

2017 में ज़्यादातर देशों की जीडीपी बढ़ी, बेरोज़गारी घटी लेकिन भारत में ऐसा नहीं हुआ

2017 को एक ऐसे साल के तौर पर याद किया जाएगा, जिसमें भारतीय अर्थव्यवस्था को अपने ही हाथों भारी नुकसान पहुंचाया गया. इससे जीडीपी में तीव्र गिरावट आयी और पहले से ही नए रोज़गार निर्माण की ख़राब स्थिति और बदतर हुई.

क्या 2जी मामला अब भाजपा के जी का जंजाल बनने वाला है?

अगर सीबीआई और इसके वकील हाईकोर्ट में नेताओं और कारोबारियों के बीच सांठगांठ को साबित करने में नाकाम रहते हैं, तो 2019 के आम चुनाव में भाजपा को कुछ गंभीर सवालों का सामना करना पड़ेगा.

क्या मोदी सरकार वाकई भ्रष्टाचार से लड़ने के प्रति गंभीर है?

ऐसा लगता है कि मोदी के लिए भ्रष्टाचार भी बस एक और ‘जुमला’ था क्योंकि भाजपा द्वारा भ्रष्टाचार के लिए जिन्हें निशाना बनाया गया, वे न सिर्फ जीवित हैं, बल्कि उसके नेतृत्व में फल-फूल भी रहे हैं.

यूपीए के ख़िलाफ़ 2जी को लेकर किया दुष्प्रचार बेबुनियाद था: मनमोहन सिंह

कांग्रेस प्रवक्ता सुरजेवाला ने पूछा कि मोदी, जेटली और भाजपा के तमाम नेताओं सहित जो लोग इस मामले में इल्ज़ामों की सीढ़ी बनाकर सत्ता तक पहुंचे, क्या वे अब देश से माफ़ी मांगेंगे.

‘राहुल के सवालों का ही नतीजा है कि मोदी केवल हिंदू-मुस्लिम एवं पाकिस्तान की बात कर रहे हैं’

विपक्षी नेताओं को उम्मीद, गुजरात चुनाव के नतीजे अनुकूल हुए तो विपक्षी एकता में नई जान फूंक सकेंगे राहुल गांधी.

हम भी भारत, एपिसोड 10: राहुल गांधी की ताजपोशी

हम भी भारत की 10वीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी, राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर राजनीतिक विश्लेषक नीरजा चौधरी और वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्त से चर्चा कर रही हैं.

क्या राहुल गांधी में बदलाव आया है, या हम उन्हें अलग नज़रिये से देख रहे हैं?

राहुल नए रास्तों पर बढ़ रहे हैं और उनके भाषणों को अतीत के मुक़ाबले ज़्यादा कवरेज दिया जा रहा है. वे अब एक हंसमुख, तनावमुक्त और पैने व्यक्ति के तौर पर नज़र आते हैं.

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