मांग में अचानक आए उछाल की वजह से मध्य प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक जैसे कई राज्यों में कुछ पेट्रोल पंप तेल की कमी का सामना कर रहे हैं. सरकार ने कहा है कि ईंधन की अधिक मांग को पूरा करने के लिए पेट्रोल और डीज़ल की आपूर्ति पर्याप्त है, लेकिन सरकारी पेट्रोल पंपों पर भीड़ ने ग्राहकों के इंतज़ार की अवधि को बढ़ा दिया है.
कहा कि हम भारत सरकार से पेट्रोल और डीज़ल पर लगाए गए कुल उपकर को हटाने की मांग कर रहे हैं. यह संभव है और यह देश के हित के लिए है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतों में बिना किसी बढ़ोतरी के केंद्र ने पेट्रोल-डीज़ल पर बेवजह सेस लगाया है, जिसका बोझ ग़रीब और मध्यम वर्ग के लोगों पर पड़ रहा है.
हड़ताल में शामिल संगठन ट्रांसपोर्ट कारोबार पर कोविड-19 की मार का हवाला देते हुए मांग कर रहे हैं कि डीज़ल पर वैट घटाया जाए और इस वित्त वर्ष की दो तिमाहियों रोड टैक्स और जीएसटी में छूट दी जाए. साथ ही राज्य सरकार द्वारा ट्रक चालकों का कोविड-19 का बीमा कराया जाए.
कोरोना वायरस महामारी के चलते लागू लॉकडाउन के कारण कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के साथ मक्का और मदीना की यात्रा भी बंद है. इससे राजशाही को राजस्व का नुकसान हो रहा है. वहां के नागरिकों को 2018 से शुरू हुआ निर्वाह व्यय भत्ता भी नहीं मिलेगा.
2017 को एक ऐसे साल के तौर पर याद किया जाएगा, जिसमें भारतीय अर्थव्यवस्था को अपने ही हाथों भारी नुकसान पहुंचाया गया. इससे जीडीपी में तीव्र गिरावट आयी और पहले से ही नए रोज़गार निर्माण की ख़राब स्थिति और बदतर हुई.
कारोबारियों ने सरकार को बेहतर नेटवर्क तैयार करने, जागरूकता बढ़ाने और पूरी तैयारी से आगे आने की सलाह दी है.