जब नौ साल की उम्र में कोरेगांव गए आंबेडकर को जातीय भेदभाव का सामना करना पड़ा

प्रासंगिक: अपनी किताब ‘वेटिंग फॉर अ वीज़ा’ में भीमराव आंबेडकर ने 1901 में कोरेगांव यात्रा के दौरान हुए छुआछूत के कटु अनुभव पर विस्तार से चर्चा की है.