कोलकाता प्रोफेसर को याहू ने किया अलर्ट, कहा- हो सकता है सरकार समर्थित लोगों ने जासूसी की हो

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भीमा कोरेगांव हिंसा के संबंध में सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के बाद साल 2018 में गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को पत्र लिखकर कहा था कि वह राज्य के 10 संगठनों पर नज़र रखे. इन संगठनों से जुड़े लोगों में कोलकाता के एसोसिएट प्रोफेसर पार्थसारथी रे भी शामिल थे.

आईआईएसईआर प्रोफेसर और मानवाधिकार कार्यकर्ता पार्थसारथी रे.

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भीमा कोरेगांव हिंसा के संबंध में सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के बाद साल 2018 में गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को पत्र लिखकर कहा था कि वह राज्य के 10 संगठनों पर नज़र रखे. इन संगठनों से जुड़े लोगों में कोलकाता के एसोसिएट प्रोफेसर पार्थसारथी रे भी शामिल थे.

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आईआईएसईआर प्रोफेसर और मानवाधिकार कार्यकर्ता पार्थसारथी रे. (इलस्ट्रेशन: द वायर)

नई दिल्ली: वॉट्सऐप के जरिये इजराइली स्पाइवेयर पेगासस द्वारा भारत के पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी करने की खबरों के बीच ये जानकारी सामने आई है कि कोलकाता के 42 वर्षीय मॉलीक्यूलर बायोलॉजिस्ट पार्थसारथी रे को याहू से एक ईमेल संदेश मिला है, जिसमें उन्हें सतर्क रहने को कहा गया है.

याहू से मिले संदेश में लिखा गया है, ‘हमारा मानना है कि हो सकता है कि आपका याहू अकाउंट सरकार समर्थित लोगों के निशाने पर हो, जिसका मतलब है कि वे आपके अकाउंट से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.’

राय कैंसर बायोलॉजी में विशेषज्ञ हैं और कोलकाता में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आईआईएसईआर) के एसोसिएट प्रोफेसर हैं. वे जाने-माने नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और वामपंथी पत्रिका ‘सन्हती’ के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं.

साल 2012 में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार के कोलकाता में झुग्गी-झोपड़ी वालों को बेदखल करने के फैसले के खिलाफ कथित रूप से विरोध प्रदर्शन करने के कारण पार्थ को 10 दिनों के लिए जेल में डाल दिया गया था. उस समय दुनिया भर के शिक्षाविदों और कार्यकर्ताओं ने उनकी गिरफ्तारी और नजरबंदी का सार्वजनिक रूप से विरोध किया.

याहू के संदेश के अनुसार राय के व्यक्तिगत ईमेल को निशाना बनाया जा सकता है. उन्होंने द वायर  को बताया कि उन्हें यह संदेश पांच नवंबर को उनके व्यक्तिगत ईमेल अकाउंट और उनके आधिकारिक आईआईएसईआर ईमेल पते पर मिला, जिसका उपयोग वह अपनी व्यक्तिगत आईडी के लिए एक रिकवरी अकाउंट के रूप में करते हैं.

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पार्थसारथी रे को याहू से प्राप्त हुआ ईमेल.

उन्होंने कहा, ‘संदेश में बहुत स्पष्ट रूप से कहा गया कि मुझे सरकार द्वारा समर्थित लोगों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है. मैंने याहू की वेबसाइट को देखा और पाया कि ऐसे ईमेल केवल तभी भेजे जाते हैं, जब वेबसाइट को आपके अकाउंट में कुछ असामान्य होने का संदेह हो. मैंने ईमेल में उल्लिखित कई लिंक को खोलकर देखा और मुझे यकीन हुआ कि यह एक प्रामाणिक ईमेल था.’

द वायर ने राय को भेजी गई चेतावनी की प्रामाणिकता को सत्यापित किया है लेकिन उसमें लिखी गईं बातों को सत्यापित नहीं कर पाया. इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि यह ‘सरकार समर्थित लोग’ कौन हैं या वास्तव में वे किस सरकार के लिए काम करते हैं.

याहू का जवाब

इस संबंध में जब द वायर  ने याहू से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि कंपनी किसी अन्य व्यक्ति/पार्टी द्वारा यूजर के अकाउंट का इस्तेमाल करने से रोकती है.

याहू के प्रवक्ता ने कहा, ‘जरूरी नहीं कि इसका मतलब ये हो कि यूजर का अकाउंट किसी अन्य व्यक्ति/समूह द्वारा इस्तेमाल में लाया गया है, बल्कि हम इसके जरिये यूजर को याद दिलाते हैं कि वे अपने अकाउंट सुरक्षित करें और इसके लिए जरूरी सलाह भी मुहैया कराई जाती है.’

कंपनी ने ये बताने से मना कर दिया कि वे किस आधार पर पता करते हैं कि किसी अकाउंट को टार्गेट या निशाने पर लिया जा रहा है. लेकिन उन्होंने इतना बताया कि किसी यूजर को तभी ऐसे संदेश भेजे जाते हैं, जब हमें अच्छा खासा विश्वास होता है कि उसे टार्गेट किया जा रहा है.

याहू द्वारा भेजी गई चेतावनी इस ओर इशारा करती है कि न सिर्फ वॉट्सऐप बल्कि अन्य सोशल मीडिया या सर्विस प्रोवाइडर के जरिये कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की जासूसी होने की संभावना है.

द वायर  को पता चला है कि पिछले हफ्ते कुछ और लोगों को भी याहू की तरफ से चेतावनी मिली है कि उनके अकाउंट को किसी थर्ड पार्टी द्वारा टार्गेट किया जा सकता है. राय के अलावा कई अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी कराने का मामला सामने आया है.

राय ने कहा, ‘चार्जशीट में कई जगहों पर मेरा नाम सामने आया है. हालांकि मुझे अभी तक एक आरोपी के रूप में नामित नहीं किया गया है या पुलिस द्वारा पूछताछ नहीं की गई है, मैं उनके रडार पर हूं. मेरा सारा काम सार्वजनिक पटल पर है और मैं राज्य की नीति और मानवाधिकारों के उल्लंघन का आलोचक रहा हूं. सरकार इसे एक राष्ट्र विरोधी गतिविधि के रूप में देखती है.’

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भीमा कोरेगांव हिंसा के संबंध में सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के तुरंत बाद साल 2018 में गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को पत्र लिखकर कहा था कि वह राज्य के 10 संगठनों पर नजर रखे. इन संगठनों से जुड़े लोगों में एसोसिएट प्रोफेसर पार्थसारथी रे भी शामिल थे.

आठ सितंबर 2018 को आनंदबाजार पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, गृह मंत्रालय की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया था कि गृह मंत्रालय चाहता है कि राज्य सरकार उग्र वामपंथी विचारधारा वाले संगठनों पर नजर रखे.

द वायर ने इस रिपोर्ट को लिखने वाले पत्रकार जगन्नाथ चटर्जी से इन निर्देशों के बारे में और जानने के लिए संपर्क किया तो उन्होंने बताया उनके फोन को टैप किया गया था और वह इस संबंध में फोन पर कुछ नहीं कहना चाहते.

इस रिपोर्ट के अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.