लांसेट अध्ययन के अनुसार, 81.9% भारतीय उन क्षेत्रों में रह रहे हैं, जहां हवा की गुणवत्ता देश के मानकों- एनएएक्यूएस - 40 µg/m³ पीएम 2.5 के अनुसार भी नहीं है. अध्ययन कहता है कि अगर हवा की गुणवत्ता इन मानकों पर खरी उतरती, तब भी वायु प्रदूषण के लंबे संपर्क में रहने के कारण 3 लाख मौतें होतीं.