राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर महीने में पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन 20.7 प्रतिशत घटा जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें 6.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. वहीं, विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 3.9 प्रतिशत, बिजली क्षेत्र का उत्पादन 2.6 प्रतिशत घट गया.
नई दिल्ली: औद्योगिक उत्पादन के ताजा आंकड़े बता रहे हैं कि घरेलू अर्थव्यवस्था में नरमी बनी हुई है. विनिर्माण, खनन और बिजली क्षेत्रों में उत्पादन में गिरावट के चलते सितंबर महीने में औद्योगिक उत्पादन में 4.3 फीसदी की कमी दर्ज की गई. यह आठ साल में सबसे बड़ी गिरावट है.
तीनों व्यापार आधार वाले क्षेत्रों पूंजीगत वस्तुओं, टिकाऊ उपभोक्ता तथा बुनियादी ढांचा एवं निर्माण वस्तुओं के उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई.
सांख्यिकी मंत्रालय के सोमवार को जारी आंकड़े के अनुसार, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आधार पर आकलित औद्योगिक उत्पादन में सितंबर 2019 में 4.3 फीसदी की गिरावट आई, जबकि सितंबर 2018 में 4.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी.
यह लगातार दूसरा महीना है जब आईआईपी में गिरावत दर्ज की गई है. इससे पहले अगस्त 2019 में इसमें 1.4 प्रतिशत की गिरावट आई थी.
सितंबर महीने में आईआईपी में आई यह कमी अक्टूबर 2011 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है. उस दौरान इसमें 5 प्रतिशत की गिरावट आई थी.
तिमाही आधार पर 2019-20 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में आईआईपी में 0.4 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि पहली तिमाही में इसमें 3 प्रतिशत तथा वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में 5.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.
निवेश का आईना माने जाने वाले पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन सितंबर 2019 में 20.7 प्रतिशत घटा जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें 6.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.
टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं में इस अवधि में क्रमश: 9.9 प्रतिशत और निर्माण वस्तुओं के उत्पादन में 6.4 प्रतिशत की गिरावट आई.
हालांकि मध्यवर्ती वस्तुओं के उत्पादन में सितंबर महीने में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई. सितंबर महीने में आईआईपी में गिरावट से आर्थिक वृद्धि में निकट भविष्य में तेजी की उम्मीद को झटका लगा है.
आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 5 प्रतिशत रही जो छह साल का न्यूनतम स्तर है. जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) आंकड़ा 29 नवंबर को आना है.
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री देवेन्द्र कुमार पंत ने कहा, ‘आईआईपी में काफी उतार-चढ़ाव रहा है और कुछ महीनों में जो तेजी दिखी थी, वह गायब हो गई.’
उन्होंने कहा, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था फिलहाल वृद्धि के मामले में संरचनात्मक नरमी से गुजर रही है. इसका कारण घरेलू बचत दर में गिरावट तथा कृषि क्षेत्र में वृद्धि में गिरावट है.’
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-सितंबर छमाही में आईआईपी वृद्धि मात्र 1.3 प्रतिशत रही जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में इसमें 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.
औद्योगिक उत्पादन में गिरावट का मुख्य कारण विनिर्माण क्षेत्र की कमजोरी है. सितंबर महीने में विनिर्माण क्षेत्र में 3.9 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि एक साल पहले इसी महीने विनिर्माण क्षेत्र में 4.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.
बिजली उत्पादन भी इस अवधि में 2.6 प्रतिशत घटा जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें 8.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. खनन क्षेत्र के उत्पादन में सितंबर में 8.5 प्रतिशत की गिरावट रही. गत वर्ष सितंबर में इस क्षेत्र में 0.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.
उपयोग आधारित वर्गीकरण के तहत सितंबर 2018 के मुकाबले इस साल इसी महीने में प्राथमिक वस्तुओं में 5.1 प्रतिशत जबकि बुनियादी ढांचा/ निर्माण वस्तुओं में 6.4 प्रतिशत की गिरावट आई. मध्यवर्ती वस्तुओं के मामले में इस अवधि में 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.
उद्योग के हिसाब से देखा जाए तो इस साल सितंबर महीने में पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले विनिर्माण क्षेत्र में 23 औद्योगिक समूह में से 17 में गिरावट दर्ज की गई.