अगर कोई भ्रष्टाचारी है, लुटेरा है तो वो मुख्यमंत्री है, उप मुख्यमंत्री है. ऐसे राजनेताओं से हम जनता की भलाई की उम्मीद करते हैं. सचमुच जनता भोली है. 95,000 करोड़ के घोटाले के आरोपी को बीजेपी उप मुख्यमंत्री बना सकती है. इससे पता चलता है कि यह दौर उसी का है.
95,000 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के आरोपी अजीत पवार को रातों-रात एक खेमे से उठाकर राज्यपाल के सामने लाया जाता है. उन्हें देवेंद्र फडणवीस के साथ शपथ दिलाई जाती है. जिस देवेंद्र फडणवीस ने 70,000 करोड़ रुपये के सिंचाई विभाग घोटाले को उठाकर अपनी राजनीतिक पहचान बनाई, वो उसी शख्स को उप मुख्यमंत्री बना रहे थे.
पिछले साल ही उनकी सरकार के एंटी-करप्शन ब्यूरो ने हाईकोर्ट में हलफनामा देकर अजीत पवार को मुख्य आरोपी बताया था. यानि पहले कार्यकाल के पांच वर्षों में इस मामले में कुछ भी खास नहीं हुआ. एक तलवार लटका कर रखी गई ताकि अजीत पवार बुरे वक्त में काम आ सकें.
इसी 22 अगस्त को बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने 25,000 करोड़ रुपये के गबन का मामला दर्ज किया था. इसमें 70 लोग आरोपी बनाए गए जिनमें से एक अजीत पवार भी थे. इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापे भी मारे. यह केंद्र की एजेंसी है.
आप ही बताएं जिस आरोपी का स्वागत प्रधानमंत्री करें, गृहमंत्री बधाई देंगे उस पर अब ईडी हाथ डालने की हिम्मत करेगा. या फिर ईडी से बचाने की गारंटी के नाम पर ही अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री बनाया गया है? कांग्रेस की सरकार में होता तो बीजेपी कहती कि कांग्रेस ने 95,000 करोड़ लेकर उप मुख्यमंत्री का पद बेच दिया. बीजेपी की सरकार है. बीजेपी जो करती है वो अच्छा ही करती है.
भारत के इतिहास में पहली बार हुआ है जब देश के प्रधानमंत्री ने 95,000 करोड़ के घोटाले के आरोपी के नाम के आगे जी लगाकर डिप्टी मुख्यमंत्री बनने की बधाई दी हो. कांग्रेस सरकार के घोटालों के खिलाफ चुनाव लड़कर आए मोदी 95,000 करोड़ के भ्रष्टाचार के आरोपी का स्वागत कर रहे हैं. गृहमंत्री अमित शाह बधाई दे रहे हैं. मीडिया के प्रत्रकार इसे मास्टरस्ट्रोक बता रहे हैं.
एनसीपी को नेचुरली करप्ट पार्टी कहने के बाद उसके विधायकों को ‘ईमानदारी’ से तोड़ कर सरकार बनाने की कला में माहिर प्रधानमंत्री ही बता सकते हैं कि जब पूरी पार्टी को ही नेचुरली करप्ट कहा था तो उस पार्टी से दर्जन भर विधायक ईमानदार कहां से निकल आए?
2015 में विश्वास मत के दौरान ही बीजेपी की एनसीपी ने मदद की थी. विश्वास मत के दौरान शिवसेना मत विभाजन चाहती थी लेकिन स्पीकर ने ध्वनिमत से पास कर दिया. शिवसेना खुल कर अपने मत के बारे में नहीं कह रही थी और बीजेपी जोखिम नहीं लेना चाहती थी. इसलिए एनसीपी की मदद लेनी पड़ी.
नतीजा यह हुआ कि तीन साल तक सिंचाई घोटाला मामले में कुछ खास नहीं हुआ. नवंबर 2018 में बॉम्बे हाईकोर्ट के नागपुर बेंच में सिर्फ हलफनामा दायर किया गया. भविष्य में पवार काम आने वाले थे इसलिए जांच के नाम पर जांच ही होती रही.
आरोप बीजेपी ने लगाया था. ज़िम्मेदारी बीजेपी की थी कि साबित करती. अजीत पवार को सजा दिलाती. लेकिन अब तो अजीत पवार उप मुख्यमंत्री हैं.
झारखंड में भी बीजेपी ने भानुप्रताप शाही को टिकट दिया है. इन पर 130 करोड़ रुपये के दवा घोटाले का ट्रायल चल रहा है. ईडी और सीबीआई ने चार्जशीट दायर किया है. जब प्रधानमंत्री रैली करने जाएंगे तो मंच पर दवा घोटाले का आरोपी भानुप्रताप शाही होगा और ऐसे घोटाले को उजागर करने वाले सरयु राय मंच से उतार दिए गए होंगे. उनका टिकट कट चुका है.
तेलुगु देशम पार्टी के राज्यसभा सांसद वाईएस चौधरी अपनी सदस्यता छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए. चौधरी के खिलाफ भी ईडी और सीबीआई ने छापे मारे थे. सीबीआई ने चौधरी को 364 करोड़ रुपये के बैंक फ्राड के मामले में समन जारी किया था.
अप्रैल 2019 में ईडी ने 315 करोड़ रुपये की मनी लाउंडरिंग और बैंक फ्राड मामले में चौधरी की संपत्ति अटैच कर ली थी. लोकसभा चुनाव के बाद चौधरी राष्ट्र निर्माण के लिए बीजेपी में शामिल हो गए.
अभी तक 150 करोड़ रुपये या 350 करोड़ रुपये के गबन के मामलों के आरोपी बीजेपी में शामिल हो रहे थे. लेकिन यह पहली बार हुआ है जब 95,000 करोड़ के मामले का आरोपी बीजेपी सरकार में उप मुख्यमंत्री बना है. शपथ दिलाई गई है.
कई बार लगता है कि ईडी के छापे काले धन को मिटाने के लिए नहीं बल्कि उन पर हाथ डालने के लिए होते हैं. वर्ना छापे के बाद ऐसे लोगों को बीजेपी अपनी पार्टी और सरकार में क्यों लेती.
महाराष्ट्र पर कई लोग हैं जो मुझसे ज्यादा जानकार हैं. आप उनका लिखा पढ़ें. मैं न तो हर विषय पर लिख सकता हूं और न लिखना चाहिए.
किसी ने यह नहीं कहा कि उन तीन कंपनियों के बारे में विस्तार से क्यों नहीं लिखते हैं जिन्होंने बीजेपी को 20 करोड़ का चंदा दिया है और केंद्र सरकार उन कंपनियों पर आतंकी फंडिंग के मामले में जांच कर रही है.
किसी ने नहीं कहा कि इलेक्टोरल फंड पर क्यों चुप हैं? नितिन सेठी ने छह-छह कड़ियों में दस्तावेजों के साथ बताया है कि कैसे वित्त मंत्रालय ने झूठ बोलकर यह बॉन्ड संसद से पास कराया और अब इसके जरिए काले धन को सफेद करने का बड़ा खेल चल रहा है.
महाराष्ट्र में अनैतिकता की राजनीति हो रही है. सबका चेहरा उजागर हो रहा है. अनैतिकता का भंडार विपक्ष के खेमे में भी है. वहां भी वैचारिक गठबंधन में घोर अनैतिकता है. लेकिन बीजेपी ने अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री बनाकर चाल चल दी है. उसके लिए सत्ता से ज्यादा कुछ नहीं है.
अगर कोई भ्रष्टाचारी है, लुटेरा है तो वो मुख्यमंत्री है, उप मुख्यमंत्री है. ऐसे राजनेताओं से हम जनता की भलाई की उम्मीद करते हैं. सचमुच जनता भोली है. 95,000 करोड़ के घोटाले के आरोपी को बीजेपी उप मुख्यमंत्री बना सकती है. इससे पता चलता है कि यह दौर उसी का है.
(यह लेख मूल रूप से रवीश कुमार के फेसबुक पेज पर प्रकाशित हुआ है.)