कांग्रेस के जसवीर सिंह गिल के कुछ संशोधनों को अस्वीकृत करते हुए दादरा और नागर हवेली तथा दमन और दीव के विलय वाले विधेयक को लोकसभा ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी. दोनों केद्र शासित प्रदेशों के लोकसभा सदस्यों ने केंद्र सरकार से वहां विधानसभा गठन की भी मांग की थी.
नई दिल्ली: लोकसभा ने बुधवार को दो केंद्र शासित प्रदेशों दादरा और नागर हवेली तथा दमन और दीव का विलय कर एक केंद्र शासित प्रदेश बनाने के प्रावधान वाले विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी.
निचले सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने क्षेत्र के जनजाति समुदाय के लोगों के आरक्षण को लेकर सदस्यों की आशंकाओं पर स्पष्ट किया कि संविधान के तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आरक्षण वैसे ही मिलता रहेगा, उसमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा.
रेड्डी ने कहा कि दोनों केंद्र शासित प्रदेशों को मिलाने का उद्देश्य उनकी प्रशासनिक सुगमता को बढ़ाना तथा विकास सुनिश्चित करना है.
उन्होंने कहा कि एक केंद्रशासित प्रदेश बनने से अधिकारी सप्ताह के पांचों कार्यदिवस पर उपलब्ध होंगे जो अभी दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के लिए अलग अलग दिन उपलब्ध रहते हैं. रेड्डी ने साफ किया कि लोकसभा सीटों में भी कोई बदलाव नहीं होगा.
मंत्री के जवाब के बाद सदन ने कांग्रेस के जसवीर सिंह गिल के कुछ संशोधनों को अस्वीकृत करते हुए दादरा और नागर हवेली तथा दमन और दीव (संघ राज्यक्षेत्रों का विलयन) विधेयक, 2019 को ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान की.
इससे पहले विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए दोनों केद्र शासित क्षेत्र के लोकसभा सदस्यों ने केंद्र सरकार से यहां विधानसभा का गठन करने की भी मांग की.
दादरा और नागर हवेली के निर्दलीय सांसद मोहन देलकर ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि हमारी सरकार से अपेक्षा है कि दोनों क्षेत्रों की संस्कृति और परपराओं में बदलाव नहीं होना चाहिए. यहां जनजातीय समुदाय का आरक्षण भी प्रभावित नहीं होना चाहिए.
उन्होंने मांग की कि दोनों केंद्रशासित क्षेत्रों में विधानसभा का गठन होना चाहिए. दमन और दीव के भाजपा सदस्य लालूभाई पटेल ने भी विधेयक का समर्थन करते हुए क्षेत्र में दिल्ली और पुदुचेरी की तर्ज पर विधानसभा के गठन की मांग की.
कांग्रेस के मनिकम टैगोर ने दोनों केंद्रशासित क्षेत्रों के विलय की जरूरत पर सवाल किया. चर्चा में केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के लोकसभा सदस्य मोहम्मद फैजल (एनसीपी), तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और वाईएसआर कांग्रेस के एन रेदेप्पा ने भी भाग लिया.
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन की नीति के तहत दोनों संघ राज्यक्षेत्रों की कम जनसंख्या और सीमित भौगोलिक क्षेत्र पर विचार करते हुए दादरा और नागर हवेली तथा दमन एवं दीव संघ राज्य क्षेत्रों का एक संघ राज्यक्षेत्र में विलय करने का निश्चय किया गया और इसलिए यह विधेयक लाया गया है.
इसमें कहा गया है कि दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के विलय के लक्ष्य दक्षता बढ़ाकर और कागजी कार्यों में कमी लाकर दोनों संघ राज्यक्षेत्रों के नागरिकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करना, प्रशासनिक व्यय में कमी लाना, नीतियों और योजनाओं में एकरूपता लाना, योजनाओं की बेहतर निगरानी करना तथा विभिन्न कर्मचारियों के काडर का बेहतर प्रबंधन करना आदि हैं.
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि दमन एवं दीव तथा दादरा और नागर हवेली संघ राज्यक्षेत्र की प्रशासनिक संरचना, इतिहास, भाषा और संस्कृति एक जैसी हैं. दोनों संघ राज्यक्षेत्रों के विभिन्न विभागों के सचिव, पुलिस प्रमुख, वन संरक्षक सामान्य हैं और गृह मंत्रालय, पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा पदस्थापित अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी उनके कार्य आवंटन के अनुसार इन दोनों राज्यों में सेवाएं देते हैं. इसके अलावा दो सचिवालय और दो समांतर विभाग हैं.
दादरा और नागर हवेली में सिर्फ एक जिला है जबकि दमन और दीव में दो जिले हैं. विधेयक में कहा गया है कि दो संघ राज्यक्षेत्र में दो पृथक संवैधानिक और प्रशासनिक सत्ता होने के कारण कार्य में दोहराव होता है, कार्य क्षमता में कमी आती है और फिजूलखर्ची बढ़ती है जिससे सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय भार आता है. यह देखते हुए इस विधेयक को लाया गया है.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जे के अधिकांश प्रावधानों को पांच अगस्त को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने की घोषणा की थी. जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद वर्तमान में देश में नौ केंद्र शासित प्रदेश हैं. दमन और दीव तथा दादरा एवं नागर हवेली के विलय के बाद केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या घटकर आठ हो जाएगी.