अरुंधति रॉय वाली ख़बर फ़र्ज़ी थी तो भी मुझे कोई खेद नहीं है: परेश रावल

परेश रावल ने कहा, 'अगर उन्हें सेना की जीप से बांधा जाता तो पथराव करने वाला कोई भी व्यक्ति उन पर हमला नहीं करता क्योंकि वह उनकी विचारधारा का समर्थन करती हैं.'

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अरुंधति रॉय और परेश रावल (फोटो: फेसबुक से साभार)

परेश रावल ने कहा, ‘अगर उन्हें सेना की जीप से बांधा जाता तो पथराव करने वाला कोई भी व्यक्ति उन पर हमला नहीं करता क्योंकि वह उनकी विचारधारा का समर्थन करती हैं.’

अरुंधति रॉय और परेश रावल (फोटो: फेसबुक से साभार)
अरुंधति रॉय और परेश रावल (फोटो: फेसबुक से साभार)

अभिनेता से नेता बने परेश रावल ने कहा है कि उन्हें अरुंधति रॉय पर अपने ट्वीट को लेकर कोई पछतावा नहीं है क्योंकि लेखिका उस भारतीय सेना के बारे में ग़लत बातें कह रही हैं जो उन पर कभी पलटवार नहीं करेगी.

भाजपा सासंद की उस बयान के लिए सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना हुई जिसमें उन्होंने कहा था कि सेना को पथराव करने वाले एक व्यक्ति के बजाय अरुंधति रॉय को जीप से बांधना चाहिए था.

उन्होंने कश्मीर में उस घटना के संदर्भ में यह बात कही थी जहां सुरक्षाबलों ने पथराव करने वालों के ख़िलाफ़ कवच के रूप में एक प्रदर्शनकारी का इस्तेमाल किया था. कई लोगों ने इस ट्वीट को घृणास्पद और हिंसा भड़काने वाला बताया था.

67 वर्षीय अभिनेता ने तब ट्वीट किया था जब पाकिस्तानी मीडिया ने रॉय की इस टिप्पणी का उल्लेख किया था जिसमें उन्होंने कश्मीर में भारतीय सेना की कार्रवाई की आलोचना की थी. बाद में पाकिस्तान मीडिया की यह ख़बर फ़र्ज़ी साबित हुई थी.

बहरहाल, रावल ने कहा कि अगर रॉय पर ख़बर फ़र्ज़ी थी तो भी उन्हें कोई खेद नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर उन्हें सेना की जीप से बांधा जाता तो पथराव करने वाला कोई भी व्यक्ति उन पर हमला नहीं करता क्योंकि वह उनकी विचारधारा का समर्थन करती हैं.

रावल ने कहा, उदार सोच वाले लोगों से मुझे इस तरह की प्रतिक्रिया की ही उम्मीद थी. मैं सिर्फ़ यह जानना चाहता हूं कि जब अरुंधति रॉय ने सैन्य कर्मियों के बारे में टिप्पणी की, उस समय किसी ने भी कुछ क्यों नहीं कहा?

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उन्होंने कहा, अगर वह सही हैं तो मैं भी सही हूं. अगर वह अपनी टिप्पणियों के बारे में खेद जताती हैं तो मैं भी खेद जताता हूं. मैं इससे सहमत हूं कि यह ख़बर फ़र्ज़ी थी लेकिन उन टिप्पणियों का क्या जो उन्होंने 2002 गोधरा दंगों पर की? अगर आपके पास अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है तो मेरे पास भी है.

उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत नेताओं की खुले तौर पर आलोचना कर सकता है लेकिन सेना को क्यों निशाना बनाना.

रावल ने कहा, अगर आपमें दम है तो ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री) के बारे में बात करो. चार लोग आएंगे और मुंह तोड़ देंगे. आप उन लोगों (सेना) के बारे में बात करते हो जो आपकी टिप्पणी के लिए आप पर पलटवार नहीं करते.

उन्होंने कहा, ये लोग जाते हैं और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और मंचों पर बोलते हैं जहां से इन्हें फंडिंग, पुरस्कार मिलते हैं. आपको सम्मान मिलता है तो आप फिजूल की बात करते हैं.

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता ने कहा कि रॉय को जीप से बांधने की उनकी टिप्पणी के बाद उन्हें समझ नहीं आया कि रॉय महिला कार्ड क्यों खेल रही हैं.

उन्होंने कहा, जब हम इसके (रॉय को जीप से बांधने के उनके ट्वीट का ज़िक्र करते हुए) बारे में बात करते हैं तो आप कहती हैं मैं महिला हूं. तब आप महिला नहीं होतीं जब ऐसी टिप्पणियां करती हैं. मैं इस टिप्पणी के बारे में माफी नहीं मांगता क्योंकि यह मेरे देश, मेरी सेना से जुड़ा मामला है.

उन्होंने कहा कि रॉय पर उनकी टिप्पणी शांति का संदेश है. रावल ने कहा, कल्पना कीजिए अगर अरुंधति को बांधा जाए तो कोई पथराव नहीं करेगा क्योंकि वह उनकी शुभचिंतक हैं, वह उनकी विचारधारा का प्रचार करती हैं. मैंने तो शांति का कबूतर छोड़ा है. कौन उन्हें मारेगा? इसलिए इसमें कोई हिंसा नहीं है.

पुरस्कार विजेता रॉय आतंकवाद प्रभावित इलाकों में भाजपा और सेना की कार्रवाई की कड़ी आलोचक रही हैं. रावल ने आरोप लगाया कि रॉय जैसे आलोचक तब भी चुप रहते हैं जब पथराव की घटनाओं में 2,500 सैनिक गंभीर रूप से घायल होते हैं.

उन्होंने कहा, तब आप मानवाधिकारों के बारे में बात क्यों नहीं करते. क्या उनका (सैनिकों का) परिवार नहीं है? एक सैनिक की मौत होना वास्तविक है. आप इसे देख सकते हैं लेकिन आपके विचार और अभिव्यक्ति काल्पनिक हैं. आप बस यह कहते हैं कि हिंदुओं ने मिजोरम, मणिपुर और नगालैंड समेत देशभर में अत्याचार किए और हर चीज़ पर क़ब्ज़ा कर लिया.

उन्होंने कहा, अमेरिका में पढ़ रहा मेरा बेटा मुझसे पूछता है कि क्या सब पर क़ब्ज़ा कर लिया? सोचिए युवा इसके क्या निहितार्थ निकाल रहे हैं. वे आप पर शक करते हैं. यह सेना को हतोत्साहित करता है. मैं ख़ुश हूं कि चर्चा शुरू हो गई है और अगर हिंसा शुरू होती तो मुझे खेद होता. मेरा उद्देश्य यह नहीं था. यह भी नहीं होना चाहिए था.

यह पूछने पर कि एक नेता के तौर पर उन्हें कौन सी बात परेशान करती है तो उन्होंने कहा, यह है एक स्थिति से निपटते हुए उत्तरदायित्व और मानवता की कमी.

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