केंद्र सरकार ने अयोध्या मामलों के लिए एक अलग विशेष डेस्क बनाई

केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के मुताबिक, अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में अयोध्या और इससे जुड़े अदालती फैसलों से संबंधित मामलों पर गौर करने के लिए विशेष डेस्क बनाई गई है. ज्ञानेश कुमार गृह मंत्रालय में जम्मू कश्मीर और लद्दाख मामलों के विभाग के भी प्रमुख हैं.

(फोटो: पीटीआई)

केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के मुताबिक, अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में अयोध्या और इससे जुड़े अदालती फैसलों से संबंधित मामलों पर गौर करने के लिए विशेष डेस्क बनाई गई है. ज्ञानेश कुमार गृह मंत्रालय में जम्मू कश्मीर और लद्दाख मामलों के विभाग के भी प्रमुख हैं.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने एक अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता में अयोध्या पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से जुड़े सभी मामलों पर गौर करने के लिए एक विशेष डेस्क बनायी है.

एक आधिकारिक आदेश में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि तीन अधिकारी अयोध्या और इससे जुड़े अदालती फैसलों से संबंधित मामलों पर गौर करेंगे. अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में ये अधिकारी काम करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट के नौ नवंबर के फैसले के मद्देनजर यह कदम महत्वपूर्ण है.

गौरतलब है कि शीर्ष न्यायालय के नौ नवंबर के फैसले ने दशकों से चले आ रहे इस विवाद को खत्म करते हुए अयोध्या के विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया था. अदालत में विवादित जमीन पर मुस्लिम पक्ष का दावा खारिज कर दिया था.

शीर्ष न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन प्रदान करने और राम मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट बनाने का भी आदेश दिया था.

कुमार के नेतृत्व में अब गृह मंत्रालय का यह नया विभाग अयोध्या संबंधी सभी मामलों को देखेगा.

ऐसी खबरें हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार ने गृह मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजकर अयोध्या में ऐसे तीन भूखंडों का सुझाव दिया है, जिसमें से एक भूखंड को उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड को सौंपा जा सकता है.

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘ऐसे सभी मामलों पर अब गृह मंत्रालय की नई डेस्क पर गौर किया जाएगा.’

संयोग से कुमार गृह मंत्रालय में जम्मू कश्मीर और लद्दाख मामलों के विभाग के भी प्रमुख हैं.

जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटे जाने के केंद्र सरकार के फैसले के दौरान उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही थी.

अब तक अयोध्या से जुड़े मामले तथा राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद संबंधी मामलों को गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा-I खंड द्वारा देखा जाता था. इसके अलावा राष्ट्रीय एकता परिषद, सिख उग्रवाद, सरकारी गोपनीयता कानून, सांप्रदायिक दंगे आदि से जुड़े मामलों से निपटने का जिम्मा भी इसी के पास है.

गृह मंत्रालय में 1990 के दशक में और 2000 के शुरुआती वर्षों में एक विशेष अयोध्या प्रकोष्ठ था, लेकिन अयोध्या पर लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद इसे बंद कर दिया गया था.

इसी आदेश में गृह मंत्रालय ने यह भी कहा है कि आंतरिक सुरक्षा-II खंड को आंतरिक सुरक्षा-I खंड में मिला दिया गया है और इसके बाद इसे आंतरिक सुरक्षा-I खंड के नाम से जाना जाएगा.

संयुक्त सचिव (महिला सुरक्षा) पुण्य सलिला श्रीवास्तव को गृह मंत्रालय में उनकी मौजूदा जिम्मेदारी के साथ आंतरिक सुरक्षा -I खंड का प्रभार दिया गया है.