अदालत ने कहा कि उनका ये आदेश म्यांमार पर बाध्यकारी है और वे चार महीने में अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत को रिपोर्ट देकर बताएं कि उन्होंने आदेश के अनुपालन के लिए क्या किया.
हेग: अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने म्यांमार को गुरुवार को आदेश दिया कि वह रोहिंग्या लोगों का जनसंहार रोकने के लिए अपनी शक्ति के अनुसार सभी कदम उठाए.
न्यायालय के अध्यक्ष जस्टिस अब्दुलकवी अहमद यूसुफ ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का विचार है कि म्यांमार में रोहिंग्या सबसे अधिक असुरक्षित हैं.’
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि रोहिंग्या को सुरक्षित करने की मंशा से अंतरिम प्रावधान के उसके आदेश म्यांमार के लिए बाध्यकारी हैं और यह अतंरराष्ट्रीय कानूनी जिम्मेदारी है.
हेग के ऐतिहासिक ‘ग्रेट हॉल ऑफ जस्टिस’ में करीब एक घंटे तक हुई सुनवाई में अदालत ने म्यांमार को आदेश दिया कि वे चार महीने में आईसीजे को रिपोर्ट देकर बताएं कि उन्होंने आदेश के अनुपालन के लिए क्या किया और इसके बाद हर छह महीने में स्थिति से अवगत कराएं.
READ HERE: summary of the #ICJ Order on the request for the indication of provisional measures made by The Gambia in the case of Application of the Convention on the Prevention and Punishment of the Crime of Genocide (#TheGambia v. #Myanmar) https://t.co/RFGVUN5hOx pic.twitter.com/FvfRRzrkte
— CIJ_ICJ (@CIJ_ICJ) January 23, 2020
अधिकार कार्यकर्ताओं ने अंतरराष्ट्रीय अदालत के सर्वसम्मति से दिए गए इस फैसले का स्वागत किया.
‘ह्यूमन राइट्स वाच’ के एसोसिएट अंतरराष्ट्रीय न्यायिक निदेशक परम प्रीत सिंह ने कहा, ‘रोहिंग्या का जनसंहार रोकने के लिए म्यांमार को कदम उठाने के लिए आईसीजे का आदेश, दुनिया के सबसे अधिक उत्पीड़ित लोगों के खिलाफ और अत्याचार रोकने के मामले में ऐतिहासिक है.’
उन्होंने कहा, ‘संबधित सरकारों और संयुक्त राष्ट्र निकाय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जनसंहार का सुनवाई आगे बढ़ने के साथ आदेश का अनुपालन हो.’
अंतरराष्ट्रीय अदालत का यह आदेश अफ्रीकी देश गाम्बिया की याचिका पर आया है जिसने मुस्लिम देशों के संगठनों की ओर से याचिका दायर की थी और म्यांमार पर रोहिंग्या का जनसहांर करने का आरोप लगाया था.
MULTIMEDIA: photos and videos of the reading of the #ICJ Order on provisional measures in the case of Application of the Convention on the Prevention and Punishment of the Crime of Genocide (#TheGambia v. #Myanmar) are available here https://t.co/ab0JucLqlz pic.twitter.com/n2KEDTxxDx
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पिछले महीने मामले की हुई खुली सुनवाई में म्यांमार पर रोहिंग्या का जनसंहार करने का आरोप लगाने वाले वकीलों ने मानचित्र, उपग्रह से ली गई तस्वीरों, ग्राफिक का इस्तेमाल अपने दावे की पुष्टि के लिए किया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि म्यांमार की सेना रोहिंग्या की हत्या, बलात्कार और विध्वंस करने के लिए अभियान चला रही है.
सुनवाई में म्यांमार की नेता आंग सान सूची के बयान का भी संज्ञान लिया गया जिसमें उन्होंने सेना की कार्रवाई का समर्थन किया था. सूची इस समय म्यांमार की स्टेट काउंसलर हैं.
उल्लेखनीय है कि बौद्ध बहुल म्यांमार रोहिंग्या को बांग्लादेश का बंगाली मानता है जबकि वे पीढ़ियों से म्यांमार में रह रहे हैं. वर्ष 1982 में उनसे नागरिकता भी छीन ली गई थी और वे देशविहीन जीवन व्यापन करने को मजबूर हैं.
साल 2017 में म्यांमार की सेना ने एक रोहिंग्या छापेमार समूह के हमले के बाद उत्तरी रखाइन प्रांत में कथित नस्ली सफाई अभियान शुरू किया. इसकी वजह से करीब सात लाख रोहिंग्या ने भागकर पड़ोसी बांग्लादेश में शरण ली. म्यांमार पर आरोप लगाया गया कि सेना ने बड़े पैमाने पर रेप, हत्या और घरों को जलाने का काम किया.