सोलह से अधिक राज्यों के किसानों ने मिलकर बनाई समन्वय समिति. 16 जून को दिल्ली में बैठक के बाद तय होगी किसान आंदोलन की रणनीति.
देश भर के किसानों ने मिलकर एक को-ऑर्डीनेशन कमेटी बनाई है और सोलह जून को कमेटी की बैठक दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में होगी. इस बैठक में किसान आंदोलन को आगे बढ़ाने की रणनीति तय होगी.
साथ ही किसानों ने तय किया है कि भाषा, संस्कृति, भूगोल आदि की बंदिशें तोड़कर पूरे देश के किसान एक साथ आयेंगे और अपने हक़ के लिए सरकार को मजबूर करेंगे.
सड़क पर उतरे किसानों को बरगलाने या धरने पर बैठने वाली सरकारों के लिए यह चेतावनी है. किसानों की मांग मानने की जगह इधर-उधर उलझाने और टाल-मटोल करने के बीच किसानों की एकजुटता एक तरफ सरकार को मुसीबत में डालेगी तो दूसरी तरफ किसानों की ताकत को बढ़ाएगी.
उत्तर प्रदेश गन्ना किसान संघ के नेता बीएम सिंह का कहना है, ‘किसानों के साथ धोखा बहुत हुआ है. इसलिए अब किसान गुस्से में है. फसलों के दाम बढ़ने की जगह आधे पर आ गए हैं. दुखती रग पर हाथ रखने के बदले जले पर नमक छिड़क रहे हैं. कह रहे हैं कि हमने किसानों के लिए बहुत किया है. बहुत ग्रोथ हो गई है. किसान खुशहाल है.’
बीएम सिंह प्रधानमंत्री पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि अगर किसान खुशहाल है तो प्रधानमंत्री ने चुनाव के पहले क्यों कहा कि हम उत्तर प्रदेश में क़र्ज़ माफ़ करने को तैयार हैं? आपने चुनाव के पहले किसानों से इतने वादे क्यों किये थे?
‘आपने क्यों कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करेंगे? आपने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने का वादा क्यों किया? किसी के बदन में पीड़ा है और आप मरहम लगाने की बात करते हैं तो मरहम लगाइए, उसके साथ बदसलूकी मत कीजिए.’
उन्होंने बताया, ‘देश भर के किसानों की हमारी एक कमेटी बन गई है जिसमे देश भर के किसान होंगे. उत्तर प्रदेश में दस में से आठ संगठन एक साथ हैं. हम सब इकठ्ठा होंगे और आगे की योजना बनायेंगे. इन पार्टियों ने हमें जाति में बांटा और अब धर्म पर आ गए हैं. अब हम ये सब नहीं चलने देंगे.’
मंदसौर में महाराष्ट्र के एक किसान कार्यकर्त्ता ने बताया, ‘दिल्ली में 16 जून को महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, तमिलनाडु आदि 16 राज्यों के किसान एक साथ बैठक करेंगे और बाकायदा रणनीति बनायेंगे कि बिना आम जनता को नुकसान पंहुचाए सरकार से अपनी बात कैसे मनवाई जाए.’
किसान नेता बीएम सिंह ने बताया, ‘देश भर के किसान एकजुट होंगे और एजेंडे के तहत काम करेंगे, न कि चक्काजाम या तोड़फोड़. पहले डॉक्टर नीम-हकीम थे, अब ढंग से इलाज किया जाएगा. हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे कि जनता का नुकसान हो और हमें झुकाया जाए. लेकिन हम अब चुप नहीं बैठेंगे. 16 को कुछ किसान संगठनों ने चक्काजाम का आह्वान किया है, लेकिन हम ये नहीं करेंगे. हम एजेंडा बनाएंगे और एक-एक एजेंडे पर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन होगा और हर एजेंडे को लागू करवाएंगे और किसानों को खड़ा करेंगे.’
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में हिंसक आंदोलन कुछ शांत भले हो गया हो लेकिन अब किसानों को बरगलाना आसान नहीं होगा. किसान नेताओं के रुख और रणनीति से साफ़ है कि आंदोलन फिलहाल जारी रहेगा.