दिल्ली विधानसभा चुनाव: आप को लगातार दूसरी बार पचास फ़ीसदी से ज़्यादा मत मिले

देश के चुनावी इतिहास में किसी क्षेत्रीय दल के लगातार दो बार पचास फ़ीसदी से अधिक मत प्रतिशत के साथ सत्ता में वापसी का उदाहरण नहीं है. जहां 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 67 सीटें और 54.3 प्रतिशत वोट मिले थे, वहीं इस बार पार्टी ने 53.54 मत प्रतिशत के साथ 62 सीटें जीती है.

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New Delhi: An Aam Aadmi Party worker, dressed as party chief Arvind Kejriwal, celebrates along with others the party's success in the Delhi Assembly polls, at party headquarters in New Delhi, Tuesday, Feb. 11, 2020. (PTI Photo/Manvender Vashist) (PTI2_11_2020_000086B)

देश के चुनावी इतिहास में किसी क्षेत्रीय दल के लगातार दो बार पचास फ़ीसदी से अधिक मत प्रतिशत के साथ सत्ता में वापसी का उदाहरण नहीं है. जहां 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 67 सीटें और 54.3 प्रतिशत वोट मिले थे, वहीं इस बार पार्टी ने 53.54 मत प्रतिशत के साथ 62 सीटें जीती है.

New Delhi: An Aam Aadmi Party worker, dressed as party chief Arvind Kejriwal, celebrates along with others the party's success in the Delhi Assembly polls, at party headquarters in New Delhi, Tuesday, Feb. 11, 2020. (PTI Photo/Manvender Vashist)   (PTI2_11_2020_000086B)
फोटो: पीटीआई

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगातार दो बार चुनाव जीतने वाली आम आदमी पार्टी (आप) ने दोनों चुनाव में आधे से ज्यादा मत हासिल करने का कारनामा कर दिखाया है.

विधानसभा चुनाव की मंगलवार को जारी मतगणना में आप 53.54 प्रतिशत के साथ 62 सीटों पर जीत दर्ज ली. वहीं, 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप को 54.3 प्रतिशत वोट मिले थे और 67 सीटों पर पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करायी थी.

चुनाव विश्लेषण से जुड़ी शोध संस्था एडीआर के संस्थापक और राजनीतिक विश्लेषक प्रो. जगदीप छोकर ने बताया कि इस चुनाव में आप का प्रदर्शन सीटों की संख्या और मतप्रतिशत के लिहाज से भले ही पिछले चुनाव के समान ही रहा हो, लेकिन पांच साल सरकार में रहने के बाद सत्ताविरोधी स्वाभाविक लहर के बावजूद यह प्रदर्शन महत्वपूर्ण है.

उन्होंने बताया कि किसी क्षेत्रीय दल का लगातार दो बार 50 प्रतिशत से अधिक मत प्रतिशत के साथ सत्ता में वापसी करने का और कोई उदाहरण भारत के चुनावी इतिहास में देखने को नहीं मिलता है. इतना ही नहीं आप, संभवत: एकमात्र क्षेत्रीय दल है जिसने एक राज्य में सत्तारूढ़ रहते हुए किसी अन्य राज्य के चुनाव में भी दमदार मौजूदगी दर्ज करायी है.

उल्लेखनीय है कि दिल्ली में 2013 और 2015 में सत्तासीन होने के बाद आप, फरवरी 2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. पंजाब में आप ने 23 प्रतिशत मत हासिल कर 20 सीटें जीतने के बाद मुख्य विपक्षी दल बनी थी.

प्रो. छोकर ने कहा कि किसी राजनीतिक दल के ‘स्ट्राइकिंग रेट’ के लिहाज से भी अगर देखें तो पार्टी स्थापित होने के पांच साल के भीतर एक राज्य में सत्तासीन होना, एक अन्य राज्य में मुख्य विपक्षी दल बनना और तीन स्थानीय निकायों में भी विपक्षी दल बनने वाली आप एकमात्र पार्टी है.

आप के प्रदर्शन को आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस से तुलना के सवाल पर प्रो. छोकर ने कहा कि आप और वाईएसआर कांग्रेस को एक समान प्रकृति का राजनीतिक दल मानना उचित नहीं होगा.

उन्होंने कहा कि 2012 में पार्टी का गठन करने वाले आप के नेताओं की कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं थी, जबकि वाईएसआर कांग्रेस हो या तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) इनके नेता राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले थे.

उन्होंने दलील दी कि वाईएसआर कांग्रेस मूल रूप से कांग्रेस से निकले नेताओं द्वारा 2011 में बनायी गयी पार्टी थी, जो एक विधानसभा चुनाव हारने के बाद 2019 में आंध्र प्रदेश की सत्ता में आई जबकि आप ने 2012 में गठन के तुरंत बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में चौंकाने वाला प्रदर्शन करते हुए 70 में से 28 सीट जीत कर 29.49 प्रतिशत वोट हासिल किये थे.

प्रो. छोकर ने कहा, ‘गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले लोगों द्वारा गठित किसी राजनीतिक दल के चुनावी प्रदर्शन का ऐसा कोई और उदाहरण देखने को नहीं मिलता है.’

उल्लेखनीय है कि असम में छात्र आंदोलन से परिणामस्वरूप बनी असम गण परिषद (अगप) ने 1985 में असम विधानसभा चुनाव में 126 में से 67 सीट जीती थीं, जबकि इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में अगप ने असम की 14 लोकसभा सीटों में से सात सीटें जीत कर चौंकाने वाला प्रदर्शन किया था.

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